केंद्र सरकार खुले में शौच करने की दयनीय स्थिति को समाप्त करने के लिए जल्द ही एक अभियान चलाने जा रही है जिसमें स्कूली छात्रों को शौचालयों के इस्तेमाल के तौर तरीकों को लेकर उनमें व्यवहारगत बदलाव लाने की शुरुआत की जाएगी।
पेयजल और साफ सफाई मामलों के मंत्रालय ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजटीय भाषण के कुछ ही दिन के बाद यह कदम उठाने का फैसला किया है। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने वर्ष 2019 तक खुले में शौच की गलत परंपरा को समाप्त करने का लक्ष्य पेश किया था। इस बात को मददेनजर रखते हुए कि भारत में अभी भी बड़ी संख्या में लोग अपने घरों के भीतर शौचालयों के निर्माण को लेकर सहमत नहीं हैं, मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे खुले में शौच करने की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए समन्वित प्रयास करें।
केंद्र ने कहा है कि सभी राज्य सरकारों के विभागों को इस मुद्दे पर ग्रामीण आबादी से संवाद कायम करने की जरूरत है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि उदाहरण के लिए, शिक्षा विभाग स्वच्छता के अभियान के प्रचार प्रसार के लिए अध्यापकों और छात्रों को संवेदनशील बना सकता है। स्कूली पाठ्यक्रम में भी यह संदेश शामिल किया जाना चाहिए। इसे शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी शामिल किया जा सकता है।