सूत्रों के मुताबिक, एनटीपीसी के कुल सौ में से 27 थर्मल प्लांट में चार दिन या इससे कम का कोयला बचा है। इनमें से भी 17,000 मेगावॉट क्षमता के छह प्लांट में किसी भी वक्त बिजली उत्पादन बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।
इनमें से पांच थर्मल प्लांट देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में हैं। इसके अलावा पश्चिमी क्षेत्र के 13 और पूर्वी क्षेत्र के 4 प्लांट की हालत भी खराब बताई गई है।
एनटीपीसी के अधिकारियों के मुताबिक, कोल इंडिया से आपूर्ति बाधित होने के कारण यह समस्या खड़ी हुई है। वहीं मानसून में देरी और गर्मी के कारण बिजली की खपत बढ़ गई है।
उद्योगों पर अब कोयले की मार
सरकार ने माना संकट है
एनटीपीसी ने ऊर्जा मंत्रालय को स्थिति के बारे में बता दिया है। वहीं ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने माना कि देश में कोयले की कमी है, लेकिन साथ ही कहा कि सरकार जरूर बंदोबस्त कर रही है।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि देश में कोयले का उत्पादन महज दो फीसदी की गति से बढ़ा है। इस कारण भी कोयले की कमी हुई है।