माध्यमिक शिक्षा: राज्य की 93 फीसदी योजनाओं को केंद्र ने नकारा- राजीव गोस्वामी

रांची. राज्य सरकार हाई स्कूलों को हर समय बेहतर बनाने और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात करती है। लेकिन राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण राज्य की योजनाओं को केंद्र सरकार अस्वीकृत कर दे रहा है। इसका ताजा उदाहरण इस वित्तीय वर्ष में देखने को मिला है। केंद्र ने प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पैब) की बैठक में वित्तीय वर्ष 2014-15 के तहत झारखंड द्वारा दिए गए आरएमएसए सहित अन्य योजनाओं के 93 प्रतिशत प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया है। राज्य की ओर से इस वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार को 487 करोड़ रुपए वार्षिक योजना के प्रस्ताव दिए गए थे। लेकिन केंद्र ने मात्र 34.77 करोड़ रुपए की ही स्वीकृति दी है। माध्यमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए केंद्र की ओर से राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) चलाया जा रहा है। लेकिन पिछले वित्तिय वर्ष में भी राज्य सरकार बेहतर परफॉर्म नहीं कर पाई। इस वजह से केंद्र ने योजना राशि में
कटौती कर दी।

क्यों हुई कटौती : वित्तीय वर्ष 2013-14 में मिली राशि का 20 फीसदी भी राशि भी राज्य सरकार खर्च नहीं कर पाई थी।

बिहार-ओडि़शा झारखंड से आगे

केंद्र से राशि प्राप्त करने में झारखंड से बिहार और ओडि़शा भी आगे निकल गया है। इस बार बिहार को केंद्र ने 888 करोड़ और ओडि़शा को 65 करोड़ के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।

इन योजनाओं के लिए नहीं मिली राशि

राज्य के हाई स्कूलों में 920 एडिशनल क्लास रूम बनाने के लिए 53 करोड़ रुपए की मांग की गई थी जो अस्वीकृत हो गई।
89 इंटीग्रेटेड साइंस लैब के लिए 6 करोड़ 45 लाख रुपए की मांग की गई थी। लेकिन केंद्र ने एक रुपए भी इस वित्तीय वर्ष स्वीकृत नहीं किए।
147 कंप्यूटर रूम के लिए 7 करोड़ 58 लाख रुपए और 110 लाइब्रेरी के लिए 8 करोड़ 28 लाख रुपए का प्रस्ताव
दिया गया था।
153 आर्ट एंड क्राफ्ट रूम के लिए 7 करोड़ 89 लाख और 159 टॉयलेट के लिए एक करोड़ 59 लाख का प्रस्ताव दिया गया था।
हाई स्कूलों में उपलब्ध 2338 टॉयलेट की देखरेख के लिए 1 करोड़ 39 लाख का प्रस्ताव बना था।
11 गर्ल्स हॉस्टल के लिए 15 करोड़ 39 लाख का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन इस मद में भी एक राशि स्वीकृत नहीं हुई।


केंद्र ने राशि क्यों काटी, इसे देखूंगी। सरकार हाईस्कूलों के विकास के लिए कटिबद्ध है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी। गीताश्री उरांव, शिक्षा मंत्री

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