बाजार समिति: कृषि विभाग का तर्क, समाप्त हो सकती है बाजार शुल्क से होने वाली आय

रांची: कृषि मंत्री योगेंद्र साव द्वारा बाजार समिति भंग करने की अनुशंसा के बाद कृषि विभाग में नयी फाइल बनी है. कृषि विभाग ने मंत्री को बाजार समिति भंग करने से पहले बिहार का अनुभव पता करने की सलाह दी है.

मंत्री को भेजी गयी फाइल में बाजार समिति की आधारभूत संरचना और कार्यरत बल के भविष्य के लिए कोई योजना बनाने का सुझाव दिया गया है. साथ ही बाजार समिति बंद होने से बाजार शुल्क से होने वाली आमदनी के समाप्त होने की जानकारी भी कृषि मंत्री को दी गयी है. उनको बताया गया है कि बाजार समिति भंग करने के लिए सरकार को नीतिगत निर्णय लेने की जरूरत है. संबंधित फाइल पर कृषि मंत्री की टिप्पणी के बाद ही बाजार समिति का भविष्य तय करने की दिशा में कोई काम होगा. तब तक बाजार समिति पूर्व की तरह ही काम करती रहेगी.

भंग नहीं होगी बाजार समिति
बाजार समिति भंग करने के लिए राज्य सरकार को नीतिगत निर्णय लेना होगा. कृषि विभाग में फाइलों के इधर-उधर घूमते रहने से बाजार समिति भंग नहीं होगी. बाजार समिति भंग करने के लिए अब तक कृषि विभाग द्वारा प्रस्ताव तक तैयार नहीं किया गया है. बिहार में बाजार समिति भंग करने के बाद हो रहे अनुभव की जानकारी तक कृषि विभाग के पास नहीं है. आधारभूत संरचना और कार्यबल पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. बाजार समिति भंग करने के लिए सरकार एक उच्च स्तरीय बैठक कर कृषि सचिव को इस संबंध में प्रस्ताव देने का आदेश जारी कर सकती है. हालांकि ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही. ऐसे में कृषि मंत्री योगेंद्र साव द्वारा पत्र लिखने के बाद भी बाजार समिति को भंग करने से पहले कई पहलुओं पर ध्यान दिया जायेगा.

भ्रष्टाचार का अड्डा
राज्य की बाजार समितियां भ्रष्टाचार का अड्डा बन गयी हैं. बाजार समितियों के कर्मचारियों की मिलीभगत से टैक्स की भारी चोरी की जा रही है. बाजार समिति के कर्मचारी बिना इंट्री के माल की खरीद-बिक्री करने में शामिल हैं. बाजार समिति द्वारा किये जाने वाले दुकानों के आवंटन, बनायी जाने वाली सड़कें और अन्य निर्माण में भी अनियमितता देखी जाती है.

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