नई दिल्ली। महाराष्ट्र में देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लसलगांव में प्याज के दाम पिछले दो हफ्ते में 40 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 18.50 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। इसका असर देश के अन्य शहरों पर साफ दिखाई देने लगा है, जिसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। दाम बढ़ने से रोकने के लिए प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किए जाने का भी असर नहीं दिखाई पड़ रहा है।
नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के निदेशक आरपी गुप्ता का कहना है कि कमजोर मानसून की आशंका के कारण खरीफ में प्याज की फसल प्रभावित होने के अनुमान और सट्टाखोरी के कारण दाम बढ़े हैं। नासिक में लसलगांव में दाम बढ़ने का असर दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी दिखाई दिया। यहां दाम 25 रु. प्रति किलो तक जा पहुंचे हैं। इसके अलावा चंडीगढ़, इंदौर और मुंबई जैसे शहरों में भी दाम बढ़े हैं।गुप्ता के मुताबिक एक माह में लसलगांव में प्याज के दाम 90 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्याज सिर्फ सूखे की आशंका के कारण ही महंगा हुआ है जबकि इसकी आपूर्ति में कहीं कोई कमी नहीं है।
देश में रबी का करीब 39 लाख टन प्याज स्टॉक है, लेकिन अगर कमजोर मानसून के कारण खरीफ की फसल प्रभावित होती है तो यह पर्याप्त नहीं होगा। जून से नवंबर की अवधि में प्याज की मांग की पूर्ति रबी में किए गए स्टॉक और खरीफ की ताजा आवक से होती है। जुलाई 2013 से जून 2014 के दौरान देश में प्याज का उत्पादन 192 लाख टन होने का अनुमान है। वर्ष 2012-13 में 168 लाख टन का उत्पादन हुआ था। इस दौरान निर्यात पूर्व वर्ष के 18.22 लाख टन के मुकाबले घटकर 13.58 लाख टन रह गया।