दिलीप साहू, रायपुर। बच्चों में न्यूट्रिशियन की कमी को दूर करने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है। आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के लिए पोषण युक्त आहार वितरित किए जा रहे हैं। साथ ही पोषण की कमी को दूर करने के लिए जरूरी पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसके बावजूद जिले के 13.1 फीसदी किशोरियां बहुत गंभीर कुपोषण की शिकार हैं। पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के ‘सेंटर फॉर वूमन्स स्टडीज’ विभाग में हुए रिसर्च में यह तथ्य सामने आया है। इसी तरह जिले के करीब 38.5 फीसदी किशोरियां हल्के कुपोषण की शिकार हैं। रिसर्च से मिले आंकड़ों के मुताबिक रायपुर जिले की महज 1.5 फीसदी किशोरियां ही नार्मल हैं।
जिले के किशोरियों के स्वास्थ्य की स्थिति पर रिसर्च करने वाली अनिच्छा वरोड़ा का कहना है कि ज्यादातर किशोरियां जानकारी व जागरूकता की कमी की वजह से कुपोषित हैं। उन्होंने बताया कि रिसर्च के लिए जिले 14 से 17 वर्ष की 500 किशोरियों का सैंपल लिया गया। इसके लिए 50 से अधिक सरकारी व निजी स्कूल की किशोरियां शामिल हैं।
रिसर्च का आधार
इस रिसर्च की मार्गदर्शक व सेंटर फॉर वूमन्स स्टडीज के प्रो.रीता वेणुगोपाल का कहना है कि जिले के किशोरियों की स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए के आंकड़े रायपुर जिले के सभी क्षेत्रों से लिए गए। इसमें करीब 50 स्कूलों के 500 किशोरियों पर रिसर्च किया गया। रिसर्च में किशोरियों की ऊंचाई, वजन व बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के आधार पर तय मापदंड का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया।
ऐसे दूर किया जा सकता है कुपोषण
प्रो. रीता वेणुगोपाल के मुताबिक स्कूल जाने वाली किशोरियां व उनके पालक थोड़ी सावधानियां बरतकर उनके न्यूट्रिशियन की कमी को दूर कर सकते हैं। मसलन संतुलित आहार, आहार में विशेष रूप से कैल्शियम का ध्यान रखकर, गंभीर कुपोषण वाली किशोरियों को रोजाना खाने के अतिरिक्त अंडा या केला देकर पोषण की कमी दूर किया जा सकता है।