नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने रिटायरमेंट और ग्रेच्युटी फंडों में जमा रकम का 30 प्रतिशत इक्विटी बाजार में निवेश करने की इजाजत देने का प्रस्ताव रखा है। आशंका जताई जा रही है कि श्रम यूनियन इस प्रस्ताव का तगड़ा विरोध करेंगे।
प्रस्ताव के मुताबिक गैर-सरकारी प्रोविडेंट, पेंशन और ग्रेच्युटी फंड 15 प्रतिशत तक रकम कंपनियों के उन शेयरों में निवेश कर सकते हैं, जो डेरिवेटिव या म्युचुअल फंडों में शामिल हैं। एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों और इंडेक्स फंडो में 15 प्रतिशत तक रकम लगाई जा सकेगी। ये ऐसे फंड होने चाहिए जिनके पोर्टफोलियो में सेंसेक्स या निफ्टी के शेयर हों।
सरकारी प्रतिभूतियों में 40 प्रतिशत
रिटायरमेंट और ग्रेच्युटी फंडों को सरकारी प्रतिभूतियों में 40 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति मिलेगी। मौजूदा नियमों के मुताबिक इस तरह के फंडों को इक्विटी से सीधे तौर पर जुड़े निवेश के किसी भी साधन में पैसा लगाने की अनुमति नहीं है। सरकारी बॉण्ड जैसे डेट इन्स्ट्रुमेंट में इस तरह के फंड 55 फीसद तक रकम लगा सकते हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को फिलहाल म्युचुअल फंडों की इक्विटी लिंक्ड स्कीम्स में 5 फीसद तक रकम निवेश करने की अनुमति है। बसर्ते ऐसी स्कीम पूंजी बाजार नियामक सेबी के नियमों के तहत हों।
इंडेक्स फंड
प्रस्ताव के मसौदे के मुताबिक सेंसेक्स और निफ्टी के पोर्टफोलियो वाले इंडेक्स फंड ऐसे तैयार किए जाने चाहिए, जिसमें सिक्योरिटीज में निवेश के वेटेज किसी इंडेक्स के माफिक हों। इस मामले में फंड मैनेजरों को ऐसे इंडेक्स का चयन करना होगा, जिन्हें वे सालाना आधार पर एडवांस (अग्रिम) में ट्रैक करने का इरादा रखते हों।
डेट सिक्योरिटीज
रिटायरमेंट और ग्रेच्युटी फंडों को तीन साल की परिपक्वता अवधि वाले डेट सिक्योरिटीज, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड्स, टर्म डिपॉजिट (एक साल या इससे अधिक अवधि के) और सेबी की निगरानी वाले डेट म्युचुअल फंडों में 40 प्रतिशत तक पैसा लगाने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। मसौदे में 1 अप्रैल, 2015 से लागू होने वाले निवेश के दिशानिर्देश तैयार करने का प्रस्ताव किया गया है।
जोखिम कम करने के उपाय
वित्त मंत्रालय ने बाजार का जोखिम कम करने के लिए कुछ उपायों का सुझाव भी दिया है। मसलन, फंड मैनेजरों को म्युचुअल फंडों, ईटीएफ या इंडेक्स फंडों में सीधे निवेश करना चाहिए ताकि दोहरे लागत की स्थिति से बचा जा सके।
विरोध
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस जैसे संगठनों ने ईपीएफओ को इक्विटी मार्केट में निवेश करने की इजाजत देने संबंधी किसी भी कदम का विरोध करने का फैसला किया है। ईपीएफओ के पास कर्मचारियों के करीब 5 लाख करोड़ रुपए जमा हैं।
बीएमएस के अखिल भारतीय महासचिव विरजेश उपाध्याय न कहा, ‘पहले हमने इक्विटी मार्केट में ईपीएफओ की तरफ से किसी भी निवेश का विरोध किया था। हम फिर इसका विरोध करेंगे क्योंकि यह गरीब कामगारों का पैसा है।’