एक्सपोर्ट बढ़ने की संभावना के चलते कॉटन की कीमतों में तेजी की उम्मीद है। जानकारों के मुताबिक एमसीएक्स पर कॉटन 20,000 से 20,500 के स्तर पर कारोबार करता नजर आ सकता है। फिलहाल जून वायदा 19,910 रुपए प्रति बेल्स पर कारोबार कर रहा है। वहीं एमसीडीईएक्स पर कपास वायदा 956 रुपए प्रति 10 किलो के स्तर पर है। साथ ही मानसून कमजोर होने से भी कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।
जानकारों की राय
केडिया कमोडिटी के अजय केडिया के मुताबिक अगले एक महीने तक कॉटन की कीमतों में तेजी जारी रह सकती है। दरअसल किसान निचले स्तर पर कपास बेचने को तैयार नहीं है वहीं पिछले 3 साल से कापस की कीमतें अच्छी न मिलने से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में लगातार बुआई का रकबा घटा है। अजय केडिया का मानना है कि एमसीएक्स कॉटन 20,200 रुपए प्रति बेल्स तक जा सकता है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल की प्रेरणा शर्मा के मुताबिक छोटी अवधि में कपास में तेजी नजर आ रही है। हालांकि उत्पादन बढ़ने की संभावना से लंबी अवधि में गिरावट आ सकती है। अगले एक महीने में एमसीएक्स पर कॉटन की कीमतें 20,500 रुपए प्रति बेल्स तक जा सकती है। वहीं नीचे में 19,100 का स्तर देखने को मिल सकता है।
क्यों आ सकती है कपास में तेजी
यूएसडीए के मुताबिक साल 2013-14 में भारत 117 लाख बेल्स कॉटन का निर्यात कर सकता है। इससे पहले 112 लाख बेल्स निर्यात होने का अनुमान था। मई में 550,000 बेल्स का एक्सपोर्ट हुआ, वहीं साल 2012-13 में कुल 98 लाख बेल्स एक्सपोर्ट हुआ था।
कपड़ा निर्यात के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात देश बन गया है। भारत ने इस मामले में इटली जर्मनी और बांग्लादेश को पीछे छोड़ दिया है। चीन कपड़ा और परिधान एक्सपोर्ट मामले में दुनिया में अब्वल है। साल 2013 में पूरी दुनिया में कपड़ा निर्यात में चीन की 17.5 फीसदी हिस्सेदारी रही थी।
कॉटन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक साल 2013-14 में सूती धागे का एक्सपोर्ट 1350 लाख क्विंटल होने का अनुमान है। चीन के कपास नीति में दबलाव के बाद देश के एक्सपोर्टरों की चिंता बढ़ गई थी लेकिन दाम होने और अच्छी क्वालिटी की वजह से चीन से यान की मांग मजबूत है।
साल 2014-15 में पूरी दुनिया में कपास की खपत बढ़ने की संभावना है। 2014-15 में खपत 3 फीसदी बढ़कर 242 लाख टन पहुंचने की संभावना है। 2012-13 में भारत में कपास की खपत में 12 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस दौरान कापस की खपत बढ़कर 48 लाख टन रहा था। वहीं 2014-15 में 7 फीसदी की बढ़तोरी के साथ 54 लाख टन होने की संभावना है।
उत्पादन का गणित
देश में अब तक 17 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। पिछले साल इसी अवधि में 16 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।
साल 2013-14 में कपास का उत्पादन पिछले अनुमान से 12 लाख बेल्स बढ़कर 390 लाख बेल्स(एक बेल्स = 170 किलो) होने का अनुमान है। पिछले अनुमान में उत्पादन 378 लाख बेल्स होने की संभावनाथी।
साल 2012-13 में देश में उत्पादन 362 लाख बेल्स हुआ था। यूएसडीए के मुताबिक कपास उत्पादक क्षेत्र खास कर महाराष्ट्र और गुजरात में अच्छी बारिश हुई जिसके कारण उत्पादन बढ़ने की संभावना है।
एक जून तक अमेरिका में लगभग 74 फीसदी कपास बुआई का काम पूरा हो चुका है। इससे पिछले हफ्ते 62 फीसदी बुआई काम पूरा हुआ था।
बीजिंग कॉटन आउटलुक के मुताबिक चीन में 644 लाख टन कापस का उत्पादन होने की संभावना है। जो कि पिछले अनुमान से 23,000 टन ज्यादा है।