मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने आज कहा कि वह मुद्रास्फीति पर नजर रखे हुए
है और उसे उम्मीद है कि उचित खाद्य प्रबंधन से खाद्य कीमतों में कमी में
मदद मिलेगी.
आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा हम मुद्रास्फीति पर निगाह रखे हुए
हैं. पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति पर खाद्य कीमतों का असर रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उचित खाद्य प्रबंधन से खाद्य कीमतें कम हो
सकती हैं.
मुख्य मुद्रास्फीति मई में पांच महीने के उच्चतम स्तर 6.01 प्रतिशत पर आ
गयी जो पिछले महीने 5.2 प्रतिशत थी. ऐसा मुख्य तौर पर खाद्य एवं ईंधन
मुद्रास्फीति के कारण हुआ. उन्होंने यहां एसबीआई के एक समारोह के मौके पर
संवाददाताओं से कहा ,लेकिन सरकार और आरबीआई दोनों की इस पर नजर है और
उन्हें इस संबंध में चौकस रहना होगा. मौजूदा इराक संकट के बारे में राजन
ने कहा कि यह चिंता का विषय है.
इस संकट के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत प्रभावित हुई है और
रपये पर भी असर हुआ है. आरबीआई के गवर्नर ने कहा इराक के मामले में अभी भी
अनिश्चितता बनी हुई है. इस मामले पर हमारी नजर है और निश्चित तौर पर सभी को
इराक संघर्ष के बारे में चिंतित होना चाहिए.
हालांकि उन्होंने कहा कि तेल संसाधन दक्षिणी इराक में हैं इसलिए ये संघर्ष
से सीधे तौर पर प्रभावित नहीं हुए हैं. राजन ने कहा कि चालू खाते के घाटे
में कमी और विदेशी मुद्रा भंडार की मजबूत स्थिति के मद्देनजर देश की वाह्य
स्थिति कम चिंताजनक है.
राजन ने कहा, जहां तक बाहरी मामलों का सवाल है, हम पिछले साल के मुकाबले
बहुत अच्छी स्थिति में हैं. चालू खाते का घाटा कम है और मुझे लगता है कि
वाह्य परिस्थितियों के बारे में चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है. उन्होंने
कहा कि आरबीआई को अगली कुछ तिमाहियों में मुद्रास्फीति से मुकाबला करना
पड़ेगा.
उन्होंने कहा पिछले कुछ महीने और मुझे उम्मीद है कि अगली कुछ तिमाहियों में
हमें मुख्य तौर पर मुद्रास्फीति से निपटना होगा. उन्होंने मुख्यतौर पर दो
काम – बुनियादी ढांचा वित्त पोषण और वित्तीय समावेश – का जिक्र किया जिससे
केंद्रीय बैंक को मध्यम अवधि में निपटना होगा.
इराक संकट के असर के संबंध में राजन ने किसी भी तरह की अनिवार्यता से
निपटने के मामले में चालू खाते के घाटे में कमी और मजबूत विदेशी मुद्रा
भंडार पर भरोसा जताया. इराक में तनाव के मद्देनजर वैश्विक कच्चे तेल की
कीमत पिछले 9 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई जिसका रुपये पर असर हुआ.
रुपया सुबह के कारोबार में अमेरिकी डालर के मुकाबले छह सप्ताह के न्यूनतम
स्तर 60.50 के स्तर पर पहुंच गया.
सकारात्मक पक्ष यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार 6 जून तक बढ़कर 312.59 अरब
डालर हो गया और चालू खाते का घाटा 2013-14 में घटकर सकल घरेलू उत्पाद के
1.7 प्रतिशत या 32.4 अरब डालर पर आ गया जो वित्त वर्ष 2012-13 में 4.7
प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर था.