बनारसी बुनकरों को मिल जाए ग्लोबल पहचान, अगर हो जाएं ये 5 इंतजाम

नई दिल्ली। हाल में हुए राष्ट्रपति अभिभाषण में प्रणव मुखर्जी
ने सरकार का लघु व मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) पर विशेष फोकस देने की बात
कही। नतीजतन बनारस के बुनकरों की उम्मीदों को पंख लग गए हैं। इन बुनकरों का
मानना है कि बनारस में भी गुजरात मॉडल लागू होना चाहिए।
ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन (एचडब्ल्यूए) के डायरेक्टर डॉ रजनीकांत ने बताया,
“राष्ट्रपति के अभिभाषण से मिले संकेत को देखते हुए बनारस के छोटे कारोबारी
काफी आशान्वित हैं।” उन्होंने कहा कि वाराणसी क्लस्टर्स के कारोबारियों के
लिए कुछ इनोवेटिव तरीके अपनाने होंगे, ताकि उन्हें कामयाब बनाया जा सके।
चलिए जानते हैं वो कदम कौन से हो सकते हैं।


कच्चे माल की कीमतों पर करना होगा नियंत्रण

सरकार को बनारस की हैंडलूम इंडस्ट्री को राहत पहुंचने के लिए बढ़ते हुए
कच्चे माल के दामों पर नियंत्रण करना होगा। बनारस की हैंडलूम इंडस्ट्री 300
करोड़ रुपए की है। महंगे सिल्क और आयातित उत्पादों पर लगने वाली 20 फीसदी
डंपिंग ड्यूटी से इंडस्ट्री को ऊंची लागत की समस्या का सामना करना पड़ता
है। सिल्क की कीमतों में बढ़ोतरी छोटी हैंडलूम यूनिट्स के प्रॉफिट मार्जिन
को खत्म कर देती है। डिमांड होने के बावजूद महंगे सिल्क के चलते बनारसी
साड़ी मुनाफे का कारोबार नहीं बन पा रही।

ट्रांसपैरेंट सिस्टम


केंद्र सरकार को कारीगरों और बुनकरों के लिए ऐसी पारदर्शी व्यवस्था बनानी
चाहिए, जिससे उन तक सरकार की तरफ से मिलने वाली राहत पहुंच सके। डॉ
रजनीकांत के मुताबिक, प्रोत्साहन स्कीमों का फायदा छोटे बुनकरों तक
पहुंचाने के लिए भ्राष्टाचारमुक्त को-ऑपरेटिव सोसायटी बनानी चाहिए।
मुरादाबाद और बनारस क्लस्टर के कारोबारियों से बात करने से पता चलता है कि
उन्हें सरकार की तरफ से भेजी गई राहत की रकम नहीं मिल पाती।   (जारी..कृपया नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें

http://business.bhaskar.com/article/BIZN-TRAD-government-needs-to-take-these-five-steps-to-make-vanarasi-popular-globally-4646081-PHO.html

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