शरीर में आयरन की कमी दूर करेगी कुटकी- दिलीप साहू

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने कुटकी की एक ऐसे नई वेराइटी विकसित की है, जिसमें आयरन की मात्रा तीन गुना अधिक है। बीएल-4 नामक इस वेराइटी के 100 ग्राम अनाज में 28.3 मिलीग्राम आयरन है। यह अन्य राष्ट्रीय फसलों में मौजूद आयरन की मात्रा से ज्यादा है। इस फसल के माध्यम से हर वर्ग के लोगों को सुनिश्चित मात्रा में आयरन मिलेगा, जिसे कम दर पर शरीर में होने वाली आयरन की कमी को दूर किया जा सकेगा।

उल्लेखनीय है कि कृषि विश्वविद्यालय अंतर्गत बस्तर स्थित शहीद गुण्डाधुर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र जगदलपुर में संचालित अखिल भारतीय लघुधान्य सुधार परियोजना द्वारा सीओ-2 और टीएनएयू-97 के संकरण से उत्पन्न् बीएल-4 कुटकी में आयरन की अत्यधिक मात्रा पाई गई है, जो कि अन्य राष्ट्रीय स्तर पर चयनित किस्मों की तुलना में ज्यादा है। साथ ही 3 वर्षों की औसत उत्पादकता 12.74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वर्षा आधारित कृषि में यह आसानी से 85-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।

इस नए किस्म के पौधे की औसत ऊंचाई 109.2 सेमी, उत्पादक कंसों की संख्या चार तक है। दाने का रंग गहरा सुनहरा तथा चावल का रंग सफेद है। संधि व पर्व संधियों पर कोई धब्बा या रंग न होकर हरे रंग लिये हुए हैं, बालियां झुकी व सधी हुई होने के कारण बीएल-4 उच्च उत्पादकता वाली श्रेणी के अंतर्गत आती है।

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित लघु धान्य फसल अनुसंधान परियोजना की वार्षिक कार्यशाला 3-6 अप्रैल को अल्मोडा उत्तराखंड में आयोजित की गई, जिसमें अनुंसधान समीक्षा समिति ने कृषि विवि रायपुर द्वारा विकसित कुटकी की बीएल-4 किस्म को नई किस्म के रूप में रिलीज करने के लिए चिन्हित किया है।

इस किस्म को नोटीफाई की उम्मीद

वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि वर्ष 2014-15 में सेन्ट्रल वेराइटी रिलीज कमेटी द्वारा इस किस्म को नोटीफाई कर दिया जाएगा। कुटकी एक कम अवधि वाली फसल है, जो कि छत्तीसगढ एवं देश के अन्य असिचिंत खेती वाले उच्चहन भू-भागों के लिए उपयुक्त है। इस किस्म का विकास वैज्ञानिक डॉ. एनएस तोमर, डॉ. अभ‍िनव साव एवं डॉ.आदिकांत प्रधान द्वारा किया गया। इस उपलब्धि के लिए संबंधित वैज्ञानिकों को कुलपति डॉ.एसके पाटील बधाई दी है।

और नई किस्म का विकास

कुलपति डॉ.एसके पाटील ने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि ने वर्ष 2011-12 में इंदिरा रागी-1 किस्म का विकास किया गया, जिसका औसत उत्पादन 25-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसी प्रकार इंदिरा कोदो-1 किस्म विकसित की गई, जिसका औसत उत्पापदन 25-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके अतिरिक्त इस परियोजना के अंतर्गत अनेकों नवीन किस्मों का विकास अंतिम चरण पर है। शीघ्र ही उन्हें नवीन किस्मों के रूप में राज्य एवं देधा के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

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