करनाल. कमजोर मानसून की आशंका के चलते इस बार प्रदेश में खरीफ
फसलों का रकबा घट सकता है। खासकर धान का। हालांकि कृषि विभाग ने करीब ११.५०
लाख हेक्टेयर में धान रोपाई का लक्ष्य रखा है, लेकिन कम बरसात का असर पड़
सकता है। प्रदेश में मानसून जून के अंत या जुलाई के शुरू में पहुंचता है,
जबकि किसान १५ जून से ही धान रोपाई शुरू कर देते हैं।
फसलों का रकबा घट सकता है। खासकर धान का। हालांकि कृषि विभाग ने करीब ११.५०
लाख हेक्टेयर में धान रोपाई का लक्ष्य रखा है, लेकिन कम बरसात का असर पड़
सकता है। प्रदेश में मानसून जून के अंत या जुलाई के शुरू में पहुंचता है,
जबकि किसान १५ जून से ही धान रोपाई शुरू कर देते हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना कि यदि मानसून सामान्य से कम रहता है तो किसान
बासमती का रकबा बढ़ा सकते हैं। इसकी रोपाई भी थोड़ी देर से होती है और पानी
भी कम लगता है। प्रदेश के किसान तकरीबन 7.5 लाख हेक्टेयर एरिया में बासमती
की रोपाई करते हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोई किसान 10
एकड़ में धान लगाना चाहता है तो वह 6-7 एकड़ में ही रोपाई करे। इसकी एवज
में वह मक्का लगा सकता है। मक्का पर विभाग कई तरह की स्कीम चला रहा है।
किसानों को चाहिए कि वे बरसात को ध्यान में रखते हुए ही धान की रोपाई करें।
कपास-ग्वार पर भी संकट : गर्मी के कारण प्रदेश में बिजाई की गई करीब
5.5 लाख हेक्टेयर कपास की फसल पर भी संकट आ सकता है। अबकी बार प्रदेश में
करीब छह लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई का लक्ष्य रखा गया था। गर्मी और
बढ़ी तो फसल को नुकसान हो सकता है। वहीं सूखे या अधिक बरसात, दोनों ही
स्थिति में प्रदेश में तीन लाख हेक्टेयर में बोई गई ग्वार की फसल को भी
नुकसान हो सकता है। प्रदेश के किसान ग्वार पर अब ज्यादा फोकस करने लगे हैं।
प्रभावित होंगे 16.17 लाख किसान परिवार
कृषि विभाग का कहना है कि प्रदेश में करीब 16.17 लाख किसान परिवार
हैं। यदि मानसून कमजोर रहेगा तो इससे ये परिवार प्रभावित होंगे। गौरतलब है
कि सोमवार को ही केंद्रीय मौसम विभाग ने इस बार 93 फीसदी बारिश का अनुमान
लगाया है।
हैं। यदि मानसून कमजोर रहेगा तो इससे ये परिवार प्रभावित होंगे। गौरतलब है
कि सोमवार को ही केंद्रीय मौसम विभाग ने इस बार 93 फीसदी बारिश का अनुमान
लगाया है।
चिंता की कोई बात नहीं है, यहां सूखे जैसे हालात नहीं होंगे। फिर भी
किसानों को चाहिए कि वे कम पानी लेने वाली धान या फिर दलहन की फसलें
लगाएं।
-डॉ. सुरेश गहलावत, अतिरिक्त कृषि निदेशक, हरियाणा
किसानों को चाहिए कि वे कम पानी लेने वाली धान या फिर दलहन की फसलें
लगाएं।
-डॉ. सुरेश गहलावत, अतिरिक्त कृषि निदेशक, हरियाणा