उधर अटका मानसून, इधर अटकी सांसें..

नई दिल्ली। केरल में मानसून के अटकने के साथ ही सभी की सांसें अटक गई हैं। मानसून के कमजोर पड़ने के कारण सूखे की आशंका से जहां किसान परेशान हैं, वहीं आम लोगों को प्रचंड गर्मी से तत्काल निजात मिलना मुश्किल लग रहा है।

तय समय से पांच दिन पीछे चल रहे दक्षिण पश्चिम मानसून के खासतौर पर उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में कमजोर रहने का अनुमान है। मौसम विभाग ने अपने आकलन में कहा है कि इस बार जून से सितंबर के बीच मानसून की मौसमी बारिश का स्तर सामान्य से कम 93 फीसद तक रह सकता है, जो कि पहले आकलन से दो फीसद कम है। उत्तर-पश्चिम भारत में यह 85 फीसद और मध्य भारत में दीर्घावधि औसत की 94 फीसद तक रह सकती है।

इस बार मानसून केरल में निर्धारित 1 जून के मुकाबले पांच दिन की देरी से पहुंचा है और यह अभी तक कमजोर बना हुआ है। पिछले पांच दिनों से केरल, तटीय कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ इलाकों में बारिश तो हो रही है लेकिन ये सामान्य से काफी कम है। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि अगले 48 घंटे में दक्षिण पश्चिमी मानसून जोर पकड़ सकता है। जाहिर है अगर मानसून सामान्य रहता है तो अब तक ये मुंबई पहुंच चुका होता और उड़ीसा व पश्चिम बंगाल में भी मानसून के बादल छाए होते।

कमजोर मानसून को लेकर सरकार के भीतर सरगर्मी तेज हो गई। इससे निपटने के लिए आपात योजनाएं बनाई जा रही हैं। माना जा रहा है कि महंगाई के मुद्दे पर सत्ता हासिल करने वाली राजग सरकार के लिए आने वाला समय काफी मुश्किल भरा होगा।

भारत में 60 फीसद से अधिक खेती बारिश पर निर्भर है। ऐसे में कमजोर मानसून मक्का, धान, सोयाबीन, कपास जैसी खरीफ फसलों की उपज पर असर डालेगा, जिसका सीधा नुकसान उपभोक्ताओं को महंगाई के रूप में होगा। 2009 में तीन दशक का सबसे भीषण सूखा पड़ा था। तब दिसंबर के महीने में महंगाई की दरें 20 फीसद के उच्चतम स्तर को छूने लगी थीं।

विशेषज्ञों के अनुसार, 96-104 फीसद सामान्य, 90-96 फीसद सामान्य से कम और 90 फीसद से कम बारिश कमजोर मानूसन को दर्शाता है और इस बार सामान्य से कम बारिश का अनुमान जताया गया है। ऐसी स्थिति में फसलों की पैदावार घटेगी और इससे महंगाई बढ़ सकती है। इसका सीधा असर बैंकों की ब्याज दरों पर पड़ेगा।

उधर, कमजोर मानसून ने उत्तर भारत में रिकॉर्डतोड़ गर्मी झेल रहे लोगों के लिए भी परेशानी बढ़ा दी है। 47 डिग्री की प्रचंड गर्मी से लोगों का बुरा हाल है और तत्काल उन्हें इससे छुटकारा मिलना मुश्किल जान पड़ रहा है।

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