न सुविधा और न ही पढ़ाई का ढंग, इसके बाद भी सुविधाविहीन सरकारी स्कूल के बच्चे चकाचौंध वाले निजी स्कूल के बच्चों को मात दे रहे हैं। दरअसल 10वीं व 12वीं सीजी बोर्ड द्वारा जारी परीक्षा परिणाम में जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले कई छात्रों का नाम मेरिट सूची में शुमार है। बीते साल भी सरकारी स्कूल के छात्रों ने ही प्रदेश की मेरिट सूची अपना नाम शुमार किया था।
इससे निजी स्कूलों की महत्ता पर संकट आ सकता है। निजी स्कूलों में आधुनिकता की चकाचौंध तो होती है, लेकिन पढ़ाई के नाम पर नाम बड़े और दर्शन थोड़े वाली कहावत चरितार्थ होती है। भारी-भरकम फीस लेकर भी पढ़ाई का स्तर निम्न होने के कारण इन स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूल के बच्चों की स्थिति अच्छी होती है। हालात यह है कि निजी स्कूलों की बजाए सरकारी स्कूल के बच्चे ही मेरिट होते हैं। इन स्कूलों में अत्याधुनिक सुविधाओं का अभाव होने के बावजूद निजी स्कूल के बच्चों को मात दे रहे हैं।
खास बात यह है कि शनिवार को जारी 10वीं बोर्ड के परीक्षा परिणाम में सरकारी स्कूल के छात्र सुधांशु तिवारी ने अव्वल आकर पूरे प्रदेश में अपने नाम सहित जिले व तरकेला सरकारी स्कूल का डंका बजा दिया है। सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद भी सुधांशु को न तो किसी कोचिंग की जरूरत पड़ी और न ही अतिरिक्त क्लास की। कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई के साथ शिक्षकों द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के दम पर आज सुधांशु इस मुकाम तक पहुंचा है।
इसी तरह शासकीय हाई स्कूल कोड़ातराई में पढ़ने वाले विक्रम भी प्रदेश की मेरिट सूची में 7वें रेंक में अपना नाम शुमार किया है। ऐसे में सरकारी स्कूल के बच्चे विपरीत परिस्थितियों के बावजूद निजी स्कूल के बच्चों से अपने आपको बेहतर साबित कर रहे हैं। सरकारी स्कूल के बच्चों द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद अब निजी स्कूल के प्रति लोगों का विश्वास डगमगाने लगा है।
बच्चों ने ऐसे पाया मुकाम
नाम कक्षा स्कूल रेंक
सुधांशु तिवारी 10वीं शा स्कूल तरकेला 1
विक्रम 10वीं शा स्कूल कोड़ातराई 7
यशु पटेल 12वीं शा स्कूल बरमकेला 8
भारती पटेल 10वीं शा स्कूल तरकेला 5
इनका कहना है
जब मेरिट में निजी स्कूल के विद्यार्थी आते ही नहीं तो अभिभावक क्यों किसी बच्चे को वहां पढ़ाएं। निजी स्कूल में लोगों का आर्थिक और मानसिक दोहन होता है। हालांकि देखने में लगता ही नहीं किसरकारी स्कूल इतने प्रतिभाशाली छात्रों का निर्माण कर रहे हैं। यदि सरकार ने सरकारी स्कूलों पर और ध्यान दिया तो परिणाम और बेहतर हो सकते हैं।
पंकज पाण्डेय, अभिभावक
शिक्षा के स्तर में सुधार होता दिख रहा है। हालांकि कुछ चुनिंदा निजी स्कूलों के छात्र भी सपᆬल रहे हैं। बच्चों को यदि अच्छा वातावरण प्रदान किया जाएगा तो वे कहीं भी सपᆬलता अर्जित कर सकते हैं। इस बार के परिणाम से यही लगता है कि उन स्कूलों का रिजल्ट अच्छा रहा है जहां पर पढ़ाई का वातावरण अच्छा रहा है।
संजय मिश्रा, अभिभावक
गुणवत्ता होना चाहिए विद्यालयों में। वैसे कूड़े कचरे की तरह शहर में निजी स्कूल पᆬैल तो गए हैं, पर वेो व्यवसाय करने के अलावा कुछ करते नहीं है। बस विज्ञापन के सहारे लोगों को भ्रमित करके अपना काम करते हैं। यह लोगों को समझना पड़ेगा।
आशुतोष पाण्डेय, अभिभावक