छत्तीसगढ़ राज्य में किसानों के खेतों में धान-बीज तैयार करने हर वर्ष केंद्र शासन के द्वारा कृषि विभाग व बीज निगम के माध्यम से अनुदान दिया जाता है। हर वर्ष जिलेवार किसानों का चयन कर उनेक खेतों में क्षेत्र में उपयुक्त धान की किस्मों को प्रदान किया जाता है और बीज निगम की देखरेख में धान की खेती कराई जाती है। चयनित किसानों का धान जब तैयार हो जाता है तो उसे बीज निगम द्वारा धान के समर्थन मूल्य के अलावे एक हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाता है।
अविभाजित सरगुजा जिले में 10 वर्ष पूर्व धान का उत्पादन काफी कम होता था, ऐसे में प्रमाणित किस्म आईआर-36, आईआर-64, स्वर्णा, महामाया, एमटीयू-1001, एमटीयू-1010 व चंद्रहासिनी जैसी किस्में आई और अविभाजित सरगुजा जिले में बंपर उत्पादन होने लगा। खासकर सरगुजा क्षेत्र के लिए आईआर-36,आईआर-64, महामाया और स्वर्णा जैसे धान किसानों के लिए वरदान साबित हुए। किसानों की तकदीर बदलने वाली धान की किस्मों को बढ़ावा देने हर वर्ष करीब साढ़े तीन सौ से अधिक किसानों का चयन किया जाता था और उनके खेतों में बीज तैयार होता था।
धान पकने के बाद बीज निगम किसानों के द्वारा उत्पादित मोटा धान 1500 रुपए प्रति क्विंटल और पतला धान 1530 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदता था और अनुदान सहित दो मोटा धान प्रति क्विंटल 2000 रुपए और पतला धान 2030 रुपए के हिसाब से एक हजार रुपए अनुदान भी दिया जाता था। उक्त धान की अजिरमा, गेऊर, लोहारी, कुनकुरी के बीज प्रक्रिया केंद्र में ग्रेडिंग किए जाने के बाद जिलेभर के किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। जिन किस्मों को किसान 10 वर्षों से लगाते आ रहे हैं और बीज निगम को धान देकर आर्थिक लाभ अर्जित कर रहे हैं, उन किस्मों पर अनुदान की पात्रता बंद कर दी गई है।
कृषि विभाग के मुताबिक 10 वर्ष से अधिक हो चुके धान की किस्मों पर इस वर्ष से केंद्र ने अनुदान बंद कर दिया है। ऐसी स्थिति में अब मात्र सरगुजा जिले में धान की चंद्रहासिनी किस्म ही उपलब्ध है,जिसे किसान बीज के लिए उगा सकेंगे। अनुदान बंद कर देने से सीधे-सीधे किसानों को नुकसान हो रहा है। बीज तैयार करने वाले किसानों को नुकसान होने के साथ सरगुजा संभाग के सारे किसानों को आने वालेवर्ष में आईआर-36, एमटीयू-1010, आईआर-64, एमटीयू-1001, स्वर्णा, महामाया, धान-बीज से वंचित होना पड़ेगा। वहीं सरगुजा क्षेत्र के किसानों के लिए यही किस्में प्राथमिकता में रही हैं। जब तक नई किस्में तैयार नहीं होगी,किसानों को परेशान होना पड़ेगा और इसका प्रभाव सीधे धान की खेत पर पड़ेगा।
शासन ने किया नोटिफिकेशन –
शासन ने कृषि विभाग में नोटीफिकेशन भी भेज दिया है, जिसमें धान की कौन की किस्में 10 वर्ष पूरी कर चुकी हैं और कौन सी किस्में 10 वर्ष पूरी नहीं की हैं सभी का विवरण उपलब्ध है। जारी नोटीफिकेशन में अधिकांश उक्त किस्में हैं जो सरगुजा में 10 वर्षों से भारी उत्पादन देते आ रही हैं और अब उन किस्मों पर अनुदान बंद कर दिया गया है।
मात्र तीन किस्में उपलब्ध-
अविभाजिस सरगुजा में इस बार मात्र तीन धान बीज की किस्में ही उपलब्ध हो पाई हैं। इनमें एमटीयू-1010, आईआर-64 और चंद्रहासिनी शामिल हैं। दो किस्में 10 वर्ष पूरी कर चुकी हैं, मात्र एक किस्म ही 10 वर्ष पूरी करने से बची है,जिसका उत्पादन भी सरगुजा में किसान कम ही करते हैं। ऐसी स्थिति में इस बार अविभाजित सरगुजा जिले के किसानों को बीज के लिए भी भटकना पड़ सकता है। हालांकि दावा किया जा रहा है कि संभाग के सभी बीज प्रक्रिया केंद्र व सहकारी समितियों में पर्याप्त मात्रा में धान-बीज उपलब्ध है।
अनुदान देने में भी आनाकानी-
किसानों के मुताबिक अजिरमा स्थित बीज प्रक्रिया केंद्र में जो चयनित किसान धान लाते हैं उसे ग्रेडिंग के बाद अनुदान के साथ भुगतान करने में प्रक्रिया केंद्र के अधिकारी-कर्मचारी भारी आनाकानी करते हैं व किसानों को परेशान करते हैं और राशि के लिए भी दौड़ाते हैं। ग्रेडिंग में भी भारी घालमेल किया जाता है। ऐसे में किसान धान-बीज तैयार करने और बीज प्रक्रिया केंद्र पर देने में परहेज करने लगे हैं।
वर्ष 2014 का खरीफ दर निर्धारित-
मोटा धान- 1500 रुपए क्विंटल
पतला धान- 1530 रुपए क्विंटल
सुगंधित पतला धान- 1850 रुपए क्विंटल
मक्का- 1370 रुपए क्विंटल
कोदो, कुटकी, रागी- 2500 रुपए क्विंटल
अरहर- 7850 रुपए क्विंटल
उड़द- 8120 रुपए क्विंटल
मूंग- 11300 रुपए क्विंटल
मूंगफली- 7630 रुपए क्विंटल
तिल- 13620 रुपए क्विंटल
रामतिल- 5600 रुपए क्विंटल
सनई- 5770 रुपए क्विंटल
ढेंचा- 4270 रुपए क्विंटल
इनका कहना है
अविभाजित सरगुजा के तीनों जिले सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर को मिलाकर करीब साढ़े तीन सौ से अधिक किसानों को धान-बीज का अनुदान किया जाता है। गत वर्ष किसानों से 35 हजार क्विंटल धान-बीज तैयार कराया गया था। इस बार शासन ने 10 वर्ष पूरे हो चुके धान की किस्मों पर दिए जाने वाला अनुदान बंद कर दिया है सिर्फ वर्तमान प्रचलित चंद्रहासिनी किस्म पर ही अनुदान मिल पाएगा, हालांकि अभी अविभाजित जिले में नए सिरे से किसानों का चयन को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, जो बीज तैयार करते हैं किंतु 10 वर्ष पूरे हो चुके प्रमुख किस्मों में अनुदान बंद होने से बीज उत्पादन में प्रभाव पड़ने का अनुमान है। यह पूरा मामला शासन स्तर का है इसमें वे कुछ कह नहीं सकते। धान-बीज पर एक हजार रूपए अनुदान दिया जाता है जिसमें पांच सौ रुपए उत्पादन व पांच सौ वितरण हेतु निर्धारित है।
डीपी पाठक बीज प्रक्रिया प्रभारी, अजिरमा
अविभाजित
सरगुजा जिलेमेंविगत 10 वर्षों से सर्वाधिक उत्पादन देने वाली धान की
प्रमुख किस्मों पर बीज अनुदान बंद कर दिया गया है। इस वर्ष सरगुजा क्षेत्र
में एकमात्र धान की किस्म पर बीज अनुदान मिलेगा। यह किस्म भी सरगुजा के
किसान काफी कम उपयोग में लाते हैं। हर वर्ष लगभग साढ़े तीन सौ से अधिक
किसानों का चयन कर उनके खेतों में धान-बीज तैयार कराया जाता है जिससे करीब
35 हजार क्विंटल धान बीज के लिए उपलब्ध हो पाता है। उन्नत व नामी
वेराईटियों में अनुदान बंद कर दिए जाने से किसानों से लाखों का नुकसान सीधे
हो रहा है और सरगुजा में आने वाले वर्षों में धान-बीज के लिए मारामारी की
नौबत आ सकती है। किसानों को प्रति क्विंटल एक हजार रुपए अनुदान कृषि विभाग व
बीज निगम देता है।
छत्तीसगढ़ राज्य में किसानों के खेतों में धान-बीज
तैयार करने हर वर्ष केंद्र शासन के द्वारा कृषि विभाग व बीज निगम के
माध्यम से अनुदान दिया जाता है। हर वर्ष जिलेवार किसानों का चयन कर उनेक
खेतों में क्षेत्र में उपयुक्त धान की किस्मों को प्रदान किया जाता है और
बीज निगम की देखरेख में धान की खेती कराई जाती है। चयनित किसानों का धान जब
तैयार हो जाता है तो उसे बीज निगम द्वारा धान के समर्थन मूल्य के अलावे एक
हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाता है।
अविभाजित
सरगुजा जिले में 10 वर्ष पूर्व धान का उत्पादन काफी कम होता था, ऐसे में
प्रमाणित किस्म आईआर-36, आईआर-64, स्वर्णा, महामाया, एमटीयू-1001,
एमटीयू-1010 व चंद्रहासिनी जैसी किस्में आई और अविभाजित सरगुजा जिले में
बंपर उत्पादन होने लगा। खासकर सरगुजा क्षेत्र के लिए आईआर-36,आईआर-64,
महामाया और स्वर्णा जैसे धान किसानों के लिए वरदान साबित हुए। किसानों की
तकदीर बदलने वाली धान की किस्मों को बढ़ावा देने हर वर्ष करीब साढ़े तीन सौ
से अधिक किसानों का चयन किया जाता था और उनके खेतों में बीज तैयार होता था।
धान
पकने के बाद बीज निगम किसानों के द्वारा उत्पादित मोटा धान 1500 रुपए
प्रति क्विंटल और पतला धान 1530 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदता था
और अनुदान सहित दो मोटा धान प्रति क्विंटल 2000 रुपए और पतला धान 2030 रुपए
के हिसाब से एक हजार रुपए अनुदान भी दिया जाता था। उक्त धान की अजिरमा,
गेऊर, लोहारी, कुनकुरी के बीज प्रक्रिया केंद्र में ग्रेडिंग किए जाने के
बाद जिलेभर के किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। जिन किस्मों को किसान 10
वर्षों से लगाते आ रहे हैं और बीज निगम को धान देकर आर्थिक लाभ अर्जित कर
रहे हैं, उन किस्मों पर अनुदान की पात्रता बंद कर दी गई है।
कृषि
विभाग के मुताबिक 10 वर्ष से अधिक हो चुके धान की किस्मों पर इस वर्ष से
केंद्र ने अनुदान बंद कर दिया है। ऐसी स्थिति में अब मात्र सरगुजा जिले में
धान की चंद्रहासिनी किस्म ही उपलब्ध है,जिसे किसान बीज के लिए उगा सकेंगे।
अनुदान बंद कर देने से सीधे-सीधे किसानों को नुकसान हो रहा है। बीज तैयार
करने वाले किसानों को नुकसान होने के साथ सरगुजा संभाग के सारे किसानों को
आने वाले वर्ष में आईआर-36, एमटीयू-1010, आईआर-64,एमटीयू-1001, स्वर्णा,
महामाया, धान-बीज से वंचित होना पड़ेगा। वहीं सरगुजा क्षेत्र के किसानों के
लिए यही किस्में प्राथमिकता में रही हैं। जब तक नई किस्में तैयार नहीं
होगी,किसानों को परेशान होना पड़ेगा और इसका प्रभाव सीधे धान की खेत पर
पड़ेगा।
शासन ने किया नोटिफिकेशन –
शासन ने कृषि विभाग में
नोटीफिकेशन भी भेज दिया है, जिसमें धान की कौन की किस्में 10 वर्ष पूरी कर
चुकी हैं और कौन सी किस्में 10 वर्ष पूरी नहीं की हैं सभी का विवरण उपलब्ध
है। जारी नोटीफिकेशन में अधिकांश उक्त किस्में हैं जो सरगुजा में 10 वर्षों
से भारी उत्पादन देते आ रही हैं और अब उन किस्मों पर अनुदान बंद कर दिया
गया है।
मात्र तीन किस्में उपलब्ध-
अविभाजिस सरगुजा में इस बार
मात्र तीन धान बीज की किस्में ही उपलब्ध हो पाई हैं। इनमें एमटीयू-1010,
आईआर-64 और चंद्रहासिनी शामिल हैं। दो किस्में 10 वर्ष पूरी कर चुकी हैं,
मात्र एक किस्म ही 10 वर्ष पूरी करने से बची है,जिसका उत्पादन भी सरगुजा
में किसान कम ही करते हैं। ऐसी स्थिति में इस बार अविभाजित सरगुजा जिले के
किसानों को बीज के लिए भी भटकना पड़ सकता है। हालांकि दावा किया जा रहा है
कि संभाग के सभी बीज प्रक्रिया केंद्र व सहकारी समितियों में पर्याप्त
मात्रा में धान-बीज उपलब्ध है।
अनुदान देने में भी आनाकानी-
किसानों
के मुताबिक अजिरमा स्थित बीज प्रक्रिया केंद्र में जो चयनित किसान धान
लाते हैं उसे ग्रेडिंग के बाद अनुदान के साथ भुगतान करने में प्रक्रिया
केंद्र के अधिकारी-कर्मचारी भारी आनाकानी करते हैं व किसानों को परेशान
करते हैं और राशि के लिए भी दौड़ाते हैं। ग्रेडिंग में भी भारी घालमेल किया
जाता है। ऐसे में किसान धान-बीज तैयार करने और बीज प्रक्रिया केंद्र पर
देने में परहेज करने लगे हैं।
वर्ष 2014 का खरीफ दर निर्धारित-
मोटा धान- 1500 रुपए क्विंटल
पतला धान- 1530 रुपए क्विंटल
सुगंधित पतला धान- 1850 रुपए क्विंटल
मक्का- 1370 रुपए क्विंटल
कोदो, कुटकी, रागी- 2500 रुपए क्विंटल
अरहर- 7850 रुपए क्विंटल
उड़द- 8120 रुपए क्विंटल
मूंग- 11300 रुपए क्विंटल
मूंगफली- 7630 रुपए क्विंटल
तिल- 13620 रुपए क्विंटल
रामतिल- 5600 रुपए क्विंटल
सनई- 5770 रुपए क्विंटल
ढेंचा- 4270 रुपए क्विंटल
इनका कहना है
अविभाजित
सरगुजा के तीनों जिले सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर को मिलाकर करीब साढ़े तीन
सौ से अधिक किसानों को धान-बीज का अनुदान किया जाता है। गत वर्ष किसानों से
35 हजार क्विंटल धान-बीज तैयार कराया गया था। इस बार शासन ने 10 वर्ष पूरे
हो चुके धान की किस्मों पर दिए जाने वाला अनुदान बंद कर दिया है सिर्फ
वर्तमान प्रचलित चंद्रहासिनी किस्म पर ही अनुदान मिल पाएगा, हालांकि अभी
अविभाजित जिले में नए सिरे से किसानों का चयन को अंतिम रूप नहीं दिया गया
है, जो बीज तैयार करते हैं किंतु 10 वर्ष पूरे हो चुके प्रमुख किस्मों में
अनुदान बंद होने से बीज उत्पादन में प्रभाव पड़ने का अनुमान है। यह पूरा
मामला शासन स्तर का है इसमें वे कुछ कह नहीं सकते। धान-बीज पर एक हजार रूपए
अनुदान दिया जाता है जिसमें पांच सौ रुपए उत्पादन व पांच सौ वितरण हेतु
निर्धारित है।
डीपी पाठक बीज प्रक्रिया प्रभारी, अजिरमा
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