नरसिंहपुर। जिले की सीमा से लगे सागर वन क्षेत्र के तहत आने वाले नौरादेही अभ्यारण्य परिक्षेत्र में सुलग रही आग से जिले के जंगल को भी खतरा बना है। लेकिन अभ्यारण्य के अधिकारियों द्वारा आग को काबू करने कोई प्रबंध न किए जाने से वन क्षेत्र में लगातार नुकसान बढ़ रहा है। यहां सागौन की अवैध कटाई भी अरसे से हो रही है जिससे यह भी कहा जा रहा है कि सागौन के ठूंठ जलाने के लिए ही यहां आग लगाई जाती है जो बुझाई नहीं जाती।
राष्ट्रीय राजमार्ग क्रंमाक 12 से लगे सरसला वन क्षेत्र के समीप सागर वन क्षेत्र में सुरक्षित कहे जाने वाले नौरादेही अभ्यारण्य में गर्मी के शुरूआती दिनों से आग लगने की घटनाएं हो रही है। जिससे जिले के वन क्षेत्र को भी नुकसान हो रहा है लेकिन सागर वन मंडल द्वारा आग को बुझाने कार्रवाई नहीं की जा रही है। बताया जाता है कि नौरादेही अभ्यारण्य के साथ ही जिले की सीमा में आने वाले वन परिक्षेत्र में भी सागौन सहित अन्य प्रजाति की लकड़ी की अवैध कटाई बेखौफ हो रही है। लेकिन वन विभाग के अधिकारी सीमाक्षेत्र के विवाद में उलझकर अवैध कटाई पर मौन साध रहे है। वन क्षेत्र से बड़ी मात्रा में सागौन कटकर आसपास क्षेत्रों एवं शहरों में भेजा जा रहा है।
सूख रहे नए वृक्ष-गर्मी और फिर आग की आंच से वनक्षेत्र में तैयार हो रहे नए वृक्ष भी सूखने लगे हैं। वन क्षेत्र से लगे ग्रामों के वाशिंदे कहते हैं कि जंगल से हर समय धुंआ निकलता रहता है। कई बार जिले के अधिकारी आते हैं तो वे भी जंगल में आग जलती देखते हैं लेकिन यह कहते हुए आग को बुझाने से मना करते हैं कि मामला नौरादेही अभ्यारण्य का है इसलिए वह कुछ नहीं कर सकते है।
हम क्या कर सकते हैं
नौरादेही अभ्यारण्य में यदि आग लगती है तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। हमारे कर्मचारी तो अर्लट रहते हैं और जहां भी आग की खबर लगती है तो बुझाने पहुंच जाते हैं। अभी तो आग लगी होने की खबर हमें कहीं से नहीं हैं। सरसला वनक्षेत्र के आसपास ही नौरादेही का क्षेत्र लगता है।