जयपुर। कम समय में ज्यादा मुनाफे के फेर में फलों को केमिकल
डालकर पकाया जा रहा है। सस्ते दर पर खरीदे कच्चे फलों को 12 से 24 घंटे में
कृत्रिम रूप से पकाया जा रहा है। इनमें न तो स्वाद है और न ये सेहत के लिए
फायदेमंद हैं।
डालकर पकाया जा रहा है। सस्ते दर पर खरीदे कच्चे फलों को 12 से 24 घंटे में
कृत्रिम रूप से पकाया जा रहा है। इनमें न तो स्वाद है और न ये सेहत के लिए
फायदेमंद हैं।
डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसे फल खाने से लंग्स, किडनी, लीवर से जुड़ी
गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। फलों को पकाने का यह खेल बड़े पैमाने पर
फल-सब्जी मंडी सहित शहर के अन्य स्थानों पर चल रहा है, लेकिन अधिकारी गंभीर
नहीं हैं।
गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। फलों को पकाने का यह खेल बड़े पैमाने पर
फल-सब्जी मंडी सहित शहर के अन्य स्थानों पर चल रहा है, लेकिन अधिकारी गंभीर
नहीं हैं।
कानूनन फलों को रसायनों से नहीं पकाया जा सकता। प्रिवेंशन ऑफ फूड
एडल्ट्रेशन एक्ट (पोफा) के सेक्शन 44-एए के तहत कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग
से फल पकाने की प्रक्रिया को प्रतिबंधित किया गया है। यदि इस एक्ट का
उल्लंघन किया जाए तो उसे दंडनीय अपराध माना जाता है।
एडल्ट्रेशन एक्ट (पोफा) के सेक्शन 44-एए के तहत कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग
से फल पकाने की प्रक्रिया को प्रतिबंधित किया गया है। यदि इस एक्ट का
उल्लंघन किया जाए तो उसे दंडनीय अपराध माना जाता है।
24 घंटे में पका लेते है फल :
आम : कच्चे आम पर केल्शियम कार्बाइड का छिड़काव कर दिया जाता है। जो
24 घंटे के भीतर फलों को पका देता है। साथ ही इसका रंग भी पक्के आम की तरह
हो जाता है।
24 घंटे के भीतर फलों को पका देता है। साथ ही इसका रंग भी पक्के आम की तरह
हो जाता है।
केले : विशेष कैमिकल का सौ एमएल भाग पानी के ड्रम में डाला जाता है। गुच्छे को 24 घंटे के लिए बर्फ या एसी में रख दिया जाता है।
चीकू : केमिकल वाले पानी में भीगो कर रात भर रखते हैं। सुबह तक यह पक जाते हैं।
पपीता : कैल्शियम कार्बाइड को पुडिय़ा में भरकर पपीतों के बास्केट में रख दिया जाता है। 24 से 36 घंटों में पपीते पक जाते हैं।