चुनावी माहौल में राजनीतिक दल वोटरों को लुभाने के हर दांव खेल रहे हैं।
इसके तहत भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने हाल ही
में विकास पुरुष की छवि को मजबूत करने के लिए यह दावा किया है कि उनके
राज्य गुजरात में छोटे और मझोले उपक्रमों की संख्या 85 फीसदी की दर से बढ़
रही है। जबकि, बनारस में उनको चुनौती देने वाले आम आदमी पार्टी के
उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल लगातार दावा कर रहे हैं कि गुजरात में छोटे और
मझोले उपक्रम बंद हो रहे हैं।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग
मंत्रालय (एमएसएमई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार तमिलनाडु और गुजरात दो ऐसे
राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा पंजीकृत और कार्यरत छोटे और मझोले उपक्रम हैं।
इनमें से करीब 30 फीसदी लघु उद्यम अकेले इन दोनों राज्यों में हैं।
तमिलनाडु में जहां देश भर के 14.95 फीसदी उपक्रम हैं, वहीं गुजरात में यह
आंकड़ा 14.70 फीसदी हैं। यह दोनों राज्य 26 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार
दे रहे हैं।
मंत्रालय के चौथे सर्वेक्षण के मुताबिक गुजरात में करीब
66.66 फीसदी की दर से उपक्रमों की संख्या बढ़ी है। जो कि देश भर में सबसे
ज्यादा है। गुजरात के बाद तमिलनाडु में 24.4 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 16
फीसदी की दर से उपक्रमों की संख्या बढ़ी है।
मंत्रालय के एक अधिकारी
के अनुसार देश में छोटे और मझोले उपक्रमों का सबसे ताजा आंकड़े सर्वेक्षण
के तहत किए गए हैं, जो कि 2006-07 को आधार मानते हुए साल 2011-12 तक किए गए
हैं। उसके अनुसार सबसे ज्यादा पंजीकृत और कार्यरत उद्योग तमिलनाडु में
2.34 लाख हैं।
उसके बाद गुजरात में 2.30 लाख, उत्तर प्रदेश में 1.88
लाख और केरल में 1.50 लाख हैं। तीसरा सर्वेक्षण जो कि साल 2006-07 तक किया
गया, उसकी रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा 1.80 लाख उपक्रम तमिलनाडु में
थे। उसके बाद उत्तर प्रदेश में 1.62 लाख, केरल में 1.46 लाख, गुजरात में
1.38 लाख और कर्नाटक में 1.10 लाख उपक्रम थे।