सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है रोक
उत्तराखंड में पिछले साल आई आपदा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2014 में ही राज्य में कोई भी नई पनबिजली परियोजना शुरू करने पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद अदालत ने ऐसी परियोजनाओं से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया कि अगले आदेश तक किसी भी पनबिजली परियोजना को पर्यावरण या वन संबंधी मंजूरी नहीं दी जाए।
समिति ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक 11 सदस्यीय समिति ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड में आई आपदा के लिए हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट जिम्मेदार थे।
इस कमेटी ने माना कि उत्तराखंड आपदा में हाइड्रो प्रोजेक्ट की अहम भूमिका रही। इसलिए कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि ऐसी जगहों पर इस तरह के प्रोजेक्ट पर रोक लगे।
समिति ने यह भी सुझाव दिया कि छोटी लेकिन महत्वपूर्ण नदियों के अस्तित्व और इको सेंसेटिव जोन को बचाने के लिए एक विधेयक पारित किया जाए।
इसके साथ मंत्रालय द्वारा एक "नदी नियमन क्षेत्र" की तत्काल अधिसूचना की मांग की।