‘कोख का किराया’ मिलेंगे कम से कम सवा दो लाख

नई दिल्ली। सरकारी स्तर पर सरोगेट मदर्स के स्वास्थ्य को लेकर दिशा-निर्देश तो हैं, लेकिन उनके आर्थिक हितों को लेकर कोई नियम नहीं हैं। ऐसे में इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉक्टर व वकीलों के एक संगठन ने पहल की है। उन्होंने तय किया कि सरोगेट मदर्स को किसी भी हाल में सवा दो लाख रुपये से कम नहीं मिलेंगे।

डॉक्टरों व वकीलों के संगठन इंस्टर (इंडियन सोसाइटी फॉर थर्ड पार्टी असिस्टेड रिप्रोडक्शन) ने दिल्ली, गुजरात व हैदराबाद में 179 सरोगेट मदर्स पर सर्वे किया। इसमें यह बात सामने आई कि वह किसी के दबाव में सरोगेट मदर नहीं बनतीं, बल्कि परिवार की बेहतरी के लिए ऐसा करती हैं। इसमें परिवार की भी सहमति होती है।

सर्वे के बाद इंस्टर ने दिशा-निर्देश में तय किया कि सरोगेट मदर्स को एक बार में सवा दो लाख रुपये जरूर मिलेंगे। इलाज का खर्च बच्चे की चाह रखने वाले माता-पिता व क्लीनिक उठाएंगे।

इंस्टर के अध्यक्ष डॉ. हिमांशु बावेशी ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का स्पष्ट निर्देश है कि कोई महिला तीन बार से अधिक सरोगेट मदर नहीं बन सकती। यदि पहले से उसका एक बच्चा हो तो वह दो बार से ज्यादा सरोगेट मदर नहीं बन सकतीं।

नई दिल्ली
सरकारी स्तर पर सरोगेट मदर्स के स्वास्थ्य को लेकर दिशा-निर्देश तो हैं,
लेकिन उनके आर्थिक हितों को लेकर कोई नियम नहीं हैं। ऐसे में इनफर्टिलिटी
विशेषज्ञ डॉक्टर व वकीलों के एक संगठन ने पहल की है। उन्होंने तय किया कि
सरोगेट मदर्स को किसी भी हाल में सवा दो लाख रुपये से कम नहीं मिलेंगे।

डॉक्टरों
व वकीलों के संगठन इंस्टर (इंडियन सोसाइटी फॉर थर्ड पार्टी असिस्टेड
रिप्रोडक्शन) ने दिल्ली, गुजरात व हैदराबाद में 179 सरोगेट मदर्स पर सर्वे
किया। इसमें यह बात सामने आई कि वह किसी के दबाव में सरोगेट मदर नहीं
बनतीं, बल्कि परिवार की बेहतरी के लिए ऐसा करती हैं। इसमें परिवार की भी
सहमति होती है।

सर्वे के बाद इंस्टर ने दिशा-निर्देश में तय किया कि
सरोगेट मदर्स को एक बार में सवा दो लाख रुपये जरूर मिलेंगे। इलाज का खर्च
बच्चे की चाह रखने वाले माता-पिता व क्लीनिक उठाएंगे।

इंस्टर के
अध्यक्ष डॉ. हिमांशु बावेशी ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद
(आईसीएमआर) का स्पष्ट निर्देश है कि कोई महिला तीन बार से अधिक सरोगेट मदर
नहीं बन सकती। यदि पहले से उसका एक बच्चा हो तो वह दो बार से ज्यादा सरोगेट
मदर नहीं बन सकतीं।

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http://naidunia.jagran.com/national-the-rate-of-womb-is-around-two-lakh-twenty-five-thousand-rupees-76299#sthash.nDl2uOIe.dpuf

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सरकारी स्तर पर सरोगेट मदर्स के स्वास्थ्य को लेकर दिशा-निर्देश तो हैं,
लेकिन उनके आर्थिक हितों को लेकर कोई नियम नहीं हैं। ऐसे में इनफर्टिलिटी
विशेषज्ञ डॉक्टर व वकीलों के एक संगठन ने पहल की है। उन्होंने तय किया कि
सरोगेट मदर्स को किसी भी हाल में सवा दो लाख रुपये से कम नहीं मिलेंगे।

डॉक्टरों
व वकीलों के संगठन इंस्टर (इंडियन सोसाइटी फॉर थर्ड पार्टी असिस्टेड
रिप्रोडक्शन) ने दिल्ली, गुजरात व हैदराबाद में 179 सरोगेट मदर्स पर सर्वे
किया। इसमें यह बात सामने आई कि वह किसी के दबावमें सरोगेट मदर नहीं
बनतीं, बल्कि परिवार की बेहतरी के लिए ऐसा करती हैं। इसमें परिवार की भी
सहमति होती है।

सर्वे के बाद इंस्टर ने दिशा-निर्देश में तय किया कि
सरोगेट मदर्स को एक बार में सवा दो लाख रुपये जरूर मिलेंगे। इलाज का खर्च
बच्चे की चाह रखने वाले माता-पिता व क्लीनिक उठाएंगे।

इंस्टर के
अध्यक्ष डॉ. हिमांशु बावेशी ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद
(आईसीएमआर) का स्पष्ट निर्देश है कि कोई महिला तीन बार से अधिक सरोगेट मदर
नहीं बन सकती। यदि पहले से उसका एक बच्चा हो तो वह दो बार से ज्यादा सरोगेट
मदर नहीं बन सकतीं।

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