मार्च 2015 तक खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी तक जाने
के बजाये 8-10 फीसदी के दायरे में रह सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच
की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा अल-नीनो के प्रभाव से खाद्यान्न की
कीमतों के अधिक रहने से होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च में खुदरा और थोक महंगाई दर दोनों ही
खाद्यान्न कीमतों में वृद्धि के कारण अधिक रही है। थोक महंगाई दर मार्च में
5.7 फीसदी और खुदरा महंगाई दर 8.31 फीसदी रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने
सीपीआई (खुदरा) महंगाई दर को जनवरी 2015 तक 8 फीसदी और जनवरी 2016 तक 6
फीसदी के स्तर पर लाने का लक्ष्य तय किया है।
रिपोर्ट में अपने क्लाइंटों का सलाह दी गई है कि भारतीय मौसम विभाग
द्वारा मध्य अप्रैल में पेश किए जाने वाले पहले मानसून अनुमान पर विशेष
ध्यान दिया जाए, जिसमें अल-नीनो के जोखिम की संभावनाओं के बारे में पता
चलेगा।
अल-नीनो प्रत्येक 4-12 साल के बाद आता है और पिछली बार भारत में अल-नीनो
ने 2009 में मानसून को प्रभावित किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि
अल-नीनो गर्मियों में आता है तो बारिश के बादलों को दूर ले जाएंगे, जिससे
जून-सितंबर मानसून पर प्रभाव पड़ेगा।
यदि यह सर्दियों में आता है तो भारत इसके असर से बच जाएगा। रिपोर्ट में
यह भी उम्मीद जताई गई है कि एक जून को आने वाले मौद्रिक नीति में आरबीआई
गवर्नर रघुराम राजन दरों में कोई परिवर्तन नहीं करेंगे। सितंबर में जब से
रघुराम राजन ने आरबीआई गवर्नर का पदभार ग्रहण किया है तब से लेकर अब तक
रेपो रेट में तीन बार वृद्धि हो चुकी है।