मुश्किल : बारिश के चलते पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में रबी फसल भी प्रभावित
प्रभावित
मौसम की मार तैयार खड़ी रबी फसलों और जंगलों में मौजूद वनोपज पर पड़ा
अलग-अलग इलाकों में आए अंधड़-पानी ने साल बीज को काफी क्षति पहुंचाई
इससे पहले पानी के चलते इमली की फसल को काफी नुकसान हुआ था
50′ तक फसल बरबाद हुई है संग्राहकों के मुताबिक इस बार साल बीज की
छत्तीसगढ़ में इस साल की शुरुआत से मौसम की बदलती चाल फसलों को प्रभावित कर रही है। फरवरी मार्च में हुई जोरदार बारिश के बाद एक बार फिर अपै्रल की बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस बार मौसम की मार तैयार खड़ी रबी फसलों और जंगलों में मौजूद वनोपज पर पड़ा है। संग्राहकों के मुताबिक इस बार साल बीज की 50 फीसदी तक फसल बरबाद हुई है।
कृषि विभाग के एक विकास अधिकारी ने बताया कि इस साल फसलों के लिए मौसम बेहद खराब रहा है। हर महीने कभी धीमी और कभी चक्रवाती बारिश ने खड़ी फसलों को बरबाद किया है। मार्च में ओलों के कारण काफी फसल बरबाद हुई थी। वहीं अप्रैल के दूसरे सप्ताह के बाद हुई चक्रवाती बारिश और तूफानी हवाओं ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है।
मार्च-अप्रैल का महीना वनोपज के संग्रहण के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। सर्दियों में शुरुआत के बाद इमली और महुआ का संग्रहण अभी चल रहा है। वहीं अप्रैल मई से साल बीजों का संग्रहण शुरू होता है।
संग्राहक जंगलों में जाकर इन्हीं बीजों को लाकर कारोबारियों एवं सरकारी एजेंटों को बेचते हैं। लेकिन इस बार बारिश और तूफान ने वनोपज का कारोबार प्रभावित किया है। पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग इलाकों में आए अंधड़-पानी ने साल बीज को इस बार काफी क्षति पहुंचाई है। संग्राहकों के अनुसार इस साल करीब 50 फीसदी साल बीज खराब हो गया है।
पिछले साल व्यापारियों ने इसे पांच रुपए प्रति किलो की दर पर खरीदा था। लेकिन साल बीज की कमी से इस पर भी संशय बना हुआ है। अंधड़ और बारिश से साल बीज झड़ गए हैं। पानी पडऩे से भी इन्हें नुकसान पहुंचा है। इससे पहले लगातार बदली छाने और पानी के चलते इमली की फसल को काफी नुकसान हुआ था।
तोड़ कर रखे गए इमली का रंग भी बदल कर काला पड़ गया था। जिससे इसकी कीमत पर भी असर पड़ा था। मौसम की मार के चलते साल बीज का संग्रहण भी प्रभावित होने के आसार बने हुए हैं।
वनोपज के अलावा गेहूं की फसल बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई। सबसे अधिक नुकसान दक्षिणी छत्तीसगढ़ के बस्तर जगदलपुर क्षेत्र में हुआ है। वहीं मैदानी क्षेत्रों में भी आंधी बारिश से फसलें बरबाद हुई हैं।
कुछ स्थानों पर कट चुकी गेहूं की फसल हवा के तेज झोंके में उड़ गई तो कहीं पर भीगने से दाने की क्वालिटी पर असर पडऩे की आशंका है। नुकसान के चलते सबसे अधिक पेरशानी कर्जदार किसानों को हो रही है। दूसरी ओर मक्का और अन्य फसलें भी बर्बाद हो गई हैं।