गुजरात है इस मामले में पिछड़ा
गुजरात का विकास मॉडल भले ही चुनावी मैदान में नरेंद्र मोदी का अहम हथियार बना हुआ है, लेकिन किसानों को आपदा की मार से बचाने के मामले में गुजरात का प्रदर्शन बेहद फीका है। कृषि मंत्रालय की संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को लागू करने में गुजरात पीछे रह गया है।
गुजरात के अलावा भाजपा शासित छत्तीसगढ़ की स्थिति भी इस योजना के क्रियान्वयन में काफी खराब है। हाल में हुई बारिश और ओलावृष्टि के बाद देश भर में 30 लाख हेक्टेअर से ज्यादा फसल खराब हुई है।
ऐसे में फसल बीमा योजनाओं की नाकामी भी खुलकर सामने आ रही है। कई राज्यों में तो कृषि बीमा योजनाएं सिर्फ पायलट प्रोजेक्ट तक सीमित रह गई हैं।
एक साल में किसी को नहीं मिला लाभ
वर्ष 2010-11 से चलाई जा रही कृषि मंत्रालय की संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत वर्ष 2012-13 यानी तीन साल के दौरान देश भर के करीब 45 लाख किसानों को फसल बीमा की सुरक्षा प्रदान की गई।
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इनमें सबसे ज्यादा 13 लाख किसान राजस्थान के हैं। उत्तर प्रदेश के 3.24 लाख, पश्चिमी बंगाल के 5.65 लाख, हरियाणा के 1.69 लाख और बिहार के करीब 5 लाख किसानों को भी फसल बीमा का लाभ मिला है।
लेकिन हैरानी की बात है कि गुजरात के सिर्फ 432 और छत्तीसगढ़ के 18 किसानों को इस योजना के जरिए फसल बीमा की सुरक्षा मिल पाई है। इन दोनों राज्यों में वर्ष 2012-13 तक किसी भी किसान को संशोधित कृषि बीमा योजना के तहत बीमा क्लेम हासिल नहीं हुआ है।
योजना को नहीं बढ़ाया आगे
कृषि मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि गुजरात और छत्तीसगढ़ ने संशोधित कृषि बीमा योजना को लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसलिए इन राज्यों में यह योजना पायलट स्तर से आगे ही नहीं बढ़ पाई। कई राज्यों में लाखों किसानों को फसल बीमा का फायदा मिला है। केंद्र की यह योजना राज्य सरकार और बीमा कंपनियों के माध्यम से लागू की जाती है।
बुवाई न होने पर एडवांस पेमेंट
फसल बीमा की इस संशोधित योजना में प्राकृतिक आपदा के अलावा अन्य किसी कारणवश पैदावार में गिरावट की स्थिति में भी बीमे का लाभ मिलता है।
बुवाई न कर पाने या ओलावृष्टि से फसलें खराब होने पर इसमें 25 फीसदी अग्रिम भुगतान का प्रावधान है। लेकिन व्यापक प्रचार न होने से और योजना के जटिल मानकों केचलते फसल बीमा का पूरा फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है।