गंभीर समस्या
बेमौसम बारिश से भीगे धान के चावल की क्वालिटी खराब
लेकिन सरकार क्वालिटी मानकों में रियायत नहीं दे रही
मिल संचालकों ने अप्रैल से मिलिंग रोकने का निश्चय किया
एमपी व पूर्वी राज्यों में पीडीएस की सप्लाई बाधित होगी
अगले महीनों के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत चावल
की सप्लाई उन राज्यों में प्रभावित हो सकती है, जहां छत्तीसगढ़ से सप्लाई
होती है।
फरवरी और मार्च में हुई बेमौसम बारिश और ओलों के चलते खुले में पड़ा
लाखों टन धान खराब हो चुका है। जिसके चलते चावल की मिलिंग में परेशानी आ
रही है। बारिश में भीगे धान के सडऩे और काला पडऩे के चलते चावल का टर्नआउट
रेशियो और डिस्कलर की प्रतिशतता बढ़ गई है।
जबकि सरकार क्वालिटी के मामले में मिल संचालकों को कोई रियायत देना नहीं
चाहती है। खेप अस्वीकार होने से बचने के लिए मिल संचालकों ने मिलिंग करने
से इंकार कर दिया है। इस वजह से छत्तीसगढ़ से मोटे चावल की सप्लाई प्रभावित
हो सकती है।
छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन ने राज्य की करीब 1500 राइस मिलों में 1 अप्रैल से धान की मिलिंग बंद करने का निर्णय लिया है।
इससे सरकार के सामने पीडीएस चावल की सप्लाई के अलावा मौजूदा धान की
मिलिंग और ब्याज के बढ़ते घाटे को लेकर मुश्किलें पेश आ सकती हैं।
छत्तीसगढ़ से हर साल लाखों टन धान प.बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, मध्य
प्रदेश सहित अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में सप्लाई होता है। पिछले महीने
राज्य से पड़ोसी राज्यों को 2.5 लाख टन चावल की सप्लाई हो चुकी है। इस
महीने भी दो लाख टन बॉयल्ड और एक लाख टन रॉ चावल की सप्लाई होनी है।
चूंकि फिलहाल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के धान की मिलिंग पूरी हो चुकी
है। एफसीआई को 9 लाख टन और नागरिक आपूर्ति निगम को 11 लाख टन चावल की
सप्लाई हो चुकी है। लेकिन अभी भी 50 लाख टन धान की मिलिंग होना बाकी है।
ऐसे में धान की व्यापक पैमाने पर बर्बादी का असर अगले 6-8 महीनों के बाद
दिखाई दे सकता है।
छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के सचिव विजय तायल ने बताया कि पंजाब या
हरियाणा कि विपरीत छत्तीसगढ़ में भंडारण की स्थिति बेहद खराब है। जिसके
चलते फरवरी की बारिश में सरकारी गोदामों भरे 20 से 25 लाख टन धान की
बर्बादी हुई है। अब सरकार यह धान मिलर्स पर थोप रही है।
इस चावल का टर्नआउट रेशियो और टूटन पर असर पड़ेगा। लेकिन सरकार चावल की
क्वालिटी के मानकों में कोई रियायत नहीं दे रही है। दूसरी ओर सरकार 2012-13
के धान की मिलिंग के लिए भी दबाव बना रही है। ऐसे में अब मिलर्स हड़ताल पर
जा रहे हैं। जिसके चलते तात्कालिक रूप से चावल की मिलिंग पर असर पड़ेगा।