किसानों को राहत का फैसला चुनाव आयोग की मंजूरी पर टिका

कोलकाता. पिछले दिनों राज्य में ओलो की हुई बारिश से भारी मात्रा में फसल
को नुकसान हुआ है. किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगायी है, पर इन
किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार को चुनाव आयोग के फैसले पर निर्भर
करना होगा.

राज्य कृषि विभाग के अनुसार बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़ों के गिरने एवं भारी
बारिश के कारण लगभग 50 हजार किसान प्रभावित हुए हैं. उत्तर 24 परगना एवं
हुगली जिले के 14 ब्लॉक के किसान इस आसमानी आफत से बुरी तरह प्रभावित हुए
हैं. इनमें तीन सिंगुर समेत तीन ब्लॉक हुगली के एवं बारासात व देगंगा समेत
10 ब्लॉक उत्तर 24 परगना के हैं. लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता
लागू होने के कारण इन किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार को चुनाव आयोग
की इजाजत लेनी पड़ेगी.

प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषि विभाग ने इन किसानों के बीच राहत वितरण की
इजाजत के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. कृषि विभाग द्वारा कराये गये
सर्वे के अनुसार बोरो धान, सब्जी, केला, नाशपाती, शिमला मिर्च इत्यादि की
खेती को भारी नुकसान पहुंचा है. जिनकी खेती का बीमा नहीं करवाया गया है,
उनके लिए सरकार इस प्रकार की स्थिति में विभिन्न प्रकार की मदद देती थी.
अतीत में इस तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर सरकार या तो किसानों के ऋण माफ
कर देती थी अथवा ऋण का पुनर्गठन किया जाता था. सरकार मदद के लिए अनुग्रह
राशि भी किसान को दिया करती थी. अगले मौसम में खेती करने के लिए सरकार की
ओर से किसानों को बीच, खाद एवं अन्य सहायता प्रदान किया जाता था. किसानों
को मुआवजा प्रदान करने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग कृषि विभाग को फंड उपलब्ध
कराता है. इस बार भी इस प्रकार की तैयारी कर ली गयी है. पर चुनाव आयोग की
मंजूरी मिलने तक कृषि विभाग एवं किसानों को इंतजार करना होगा.

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