नई तकनीक से पौधे बन जाएंगे पॉवर प्लांट

इंसान के जीवन का सहारा रहे पेड़-पौधों पर सदियों से वैज्ञानिक परीक्षण होते रहे हैं। विज्ञान की तरक्की ने भोजन की जरूरतों को पूरा करने
के लिए पेड़-पौधों की आनुवांशिक बनावट में फेरबदल कर जीएम फूड का उत्पादन
किया। अब वैज्ञानिक छोटे कार्बन पदार्थों की मदद से पौधों का इस्तेमाल
सेंसर, एंटीना और ऊर्जा देने वाले छोटे संयंत्र बनाने में कर रहे हैं। आइए
जानते हैं कैसे पेड़-पौधों को आधुनिक टेक्नोलॉजी के हथियार के रूप में
इस्तेमाल किया जाएगा। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक
पौधों से सेंसर, एंटीना और छोटे ऊर्जा संयंत्र विकसित करने की तैयारी में
हैं। पौधे से तैयार सेंसर नाइट्रिक ऑक्साइड से होने वाले वायु प्रदुषण का
स्तर बढ़ते ही अलर्ट भेज देगा। इसके अलावा पौधों में होने वाली
फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया से जैव ईंधन तैयार करने की तकनीक पर भी
वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।

कैसे बनेगा सेंसर
प्रदुषण से अलर्ट करने वाला सेंसर तैयार करने के लिए मैसाचुसेट्स
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर माइकल स्ट्रेनो ने फूल देने वाले एक
पौधे ‘अरबाइडोपिसस थेलियाना’ का इस्तेमाल किया है। उन्होंने इस पौधे की
पत्तियों में कार्बन के छोटे-छोटे कणों को इस प्रकार अंदर डाला कि यह पौधा
जैसे ही नाइट्रिक ऑक्साइड के संपर्क में आता है तो इसकी पत्तिया प्रकाश की
तरह चमकने लगती है। इसकी पत्तियों की चमक इतनी ज्यादा होती है कि यह आसानी
से कैमरे में कैद की जा सकती है। इस प्रकार वैज्ञानिक नाइट्रिक ऑक्साइड से
होने वाले वायु प्रदुषण को आसानी से डिटेक्ट कर पाएंगे।

ऐसे पौधे बनेंगे जैव ऊर्जा संयंत्र
पौधों में होने वाली फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया से अधिक मात्रा में जैव ईधन
बनाने की प्रक्रिया पर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। फोटोसिंथेसिस की
प्रक्रिया में पौधे सूरज की रोशनी की उपस्थिति में सौर ऊर्जा को के मिकल
ऊर्जा में तब्दील करते हैं। यह के मिकल ऊर्जा पौधों में उनके विकास के लिए
शुगर मॉलीक्यूल के रूप में स्टोर हो जाती है। वैज्ञानिक जैव ईंधन बनाने के
लिए छोटी पत्तियों वाले पौधों का इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए फोटोसिंथेसिस
की प्रक्रिया को इस प्रकार बढ़ाया जाएगा ताकि पौधों के विकास के लिए कम
ऊर्जा की खपत हो और बची हुई ऊर्जा को सीधे हाइड्रोजन मॉलीक्यूल में तब्दील
किया जा सके। इसे जैव ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे मिलेगी फोटोसिंथेसिस से ज्यादा ऊर्जा
कार्बन के छोटे-छोटे कणों को सीधे क्लोरोप्लास्ट में डाला जाएगा।
क्लोरोप्लास्ट पौधे की कोशिकाओं का वह हिस्सा है जहां फोटोसिंथेसिस की
प्रक्रिया होती है। क्लोरोप्लास्ट में कार्बन के टुकड़े डालने से हानिकारक
ऑक्सीजन रेडिकल्स की मात्र को कम किया जा सकता है। इससे क्लोरोप्लास्ट हरे
प्रकाश को भी अवशोषित कर सकेगा। सामान्यत: ऐसे पौधे हरे प्रकाश को अवशोषित
नहीं करते। इससे कार्बन कणों से मॉडिफाई किया गया पौधा ज्यादा मात्र में
सौर ऊर्जा ग्रहण करेगा और फोटोसिंथेसिस से बड़ी मात्रा में ऊर्जा का
उत्पादन होगा।
प्रस्तुति: हेमंत राजौरा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *