18 जिलों के लोगों की हड्डियां कमजोर कर रहा पानी, फ्लोराइड अधिक

प्रशांत गुप्ता, रायपुर। प्रदेश के 27 में से 18 जिलों और इन 18 जिलों के 592 गांव ऐसे हैं, जहां पीने के पानी में फ्लोराइड (फ्लोरोसिस) की मात्रा सामान्य से अधिक है। यह खुलासा राज्य स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग की रिपोर्ट में हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की सर्वे रिपोर्ट भी यही खुलासा कर रही है। प्रभावित गांवों में दंतरोग और हड्डियों से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ती चली जा रही है।

‘नईदुनिया’ को मिली जानकारी के मुताबिक 21 मार्च को राज्य शासन दिल्ली में होने जा रही बैठक में केंद्र को स्थिति से अवगत कराने जा रहा है। राज्य शासन केंद्र से इस बीमारी पर नियंत्रण कार्यक्रम के लिए 2 करोड़ 37 लाख के बजट की मांग भी करेगा।

साल 2010-11 में केंद्र सरकार ने नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रेवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ फ्लोरोसिस (एनपीपीसीएफ) की शुरुआत की थी, जो अभी भी जारी है। बीते 4 साल में इस बीमारी ने प्रदेश में मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ा दी है। स्थिति चिंताजनक होती चली जा रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि गांवों में पहुंचकर संबंधित विभागों को सर्वे करना चाहिए और ऐसे हैंडपंप जिनमें फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई है, उन्हें तत्काल बंद कर देना चाहिए। जानकर आश्चर्य होगा कि 18 जिलों में सबसे ज्यादा खराब स्थिति रायपुर संभाग की है। रायपुर संभाग के सबसे ज्यादा 246 गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है। यह पानी लोगों की हड्डियां कमजोर कर रहा है।

प्रभावित जिला और गांव – बस्तर- 9, बीजापुर- 9, बिलासपुर- 2, धमतरी- 41, जशपुर- 23, कांकेर- 54, कवर्धा- 01, कोरबा- 84, कोरिया- 4, महासमुंद- 02, रायगढ़- 4, रायपुर- 246, राजनांदगांव- 2, सरगुजा- 75, दुर्ग- 6, बालोद- 28, बेमेतरा- 2

ऐसे करें पहचान-

डेंटल फ्लोरोसिस- दांत में पीलापन, दांत में छेद हो जाना।

एस्केलेटन (कंकाल) फ्लोरोसिस- हाथ-पांव टेढ़े-मेढ़े हो जाना। विकलांगता।

नान एस्केलेटन (गैर कंकाल) फ्लोरोसिस- लगातार पेट दर्द, दस्त और कब्ज, मल में रक्त। घबराहट और अवसाद, उंगुलियों और पैर में झुनझुनी, अत्यधिक प्यास और बार-बार पेशाब जाना। मांसपेशियों में कमजोरी और कठोरता।

क्या है फ्लोरोसिस- फ्लोरीन एक आवश्यक पोषक तत्व है, जो नियमित मात्रा में स्वास्थ्य के लिए रोजाना आवश्यक है।

पानी में फ्लोराइड- 1 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी में। (1पीपीएम)

इन कारणों से होती है बीमारी-

– ग्राउड वॉटर

– खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ- काली चाय, काला नामक, सुपारी, घटिया खाद्य सामग्रियों से।

– ड्रग्स- सोडियम फ्लोराइड टेबलेट, एंटीबायोटिक, सम एनेस्थेटिक एजेंट्स, एंटी डिप्रेसांट्स, फ्लोराइड टूथपेस्ट।

– प्रदूषण- फ्लोराइड युक्त मिट्टी से उड़ने वाली धूल, खनिज और उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों से।

इन चीजों का सेवन कर बचा जा सकता है बीमारी से-

– कैल्सियम युक्त पदार्थ- दूध, दूध उत्पाद, हरी सब्जियां।

– विटामिन युक्त पदार्थ- खट्टे फल।

– आयरन युक्त पदार्थ।

स्थिति चिंताजनक है

पीएचई की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 18 जिलों के 592 गांवों के जिस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करते हैं, उसमें फ्लोराइड की मात्रा सामान्य से कहीं अधिक है। स्थिति चिंताजनक है, इसी संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ एक बैठक है।

डॉ. कमलेश जैन, राज्य नोडल अधिकारी, एनसीडी, स्वास्थ्य संचालनालय

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