सुखदेई ने सूत कताई को बनाया आजीविका का जरिया

गढ़वा प्रखंड के टंडवा की रहनेवाली सुखदेई देवी का घर की देहरी से निकलकर
दिल्ली के विज्ञान भवन तक का सफर महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है. सुखदेई
ने गढ़वा ही नहीं पूरे झारखंड राज्य को सम्मानित करने का काम किया है.

गढ़वा शहर के सोनपुरवा स्थित झारखंड राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में
स्थापित प्रशिक्षण केंद्र से सुखदेई देवी ने 2008-09 में जुड़ कर सूत कताई
का कार्य प्रारंभ किया.

साक्षर सुखदेई को प्रशिक्षण के दौरान संस्था से 1500 रुपये महीने मिलते थे.
आगे चल कर उन्होंने कड़ी मेहनत की और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सूत
कताई को आगे बढ़ाया. लगातार मेहनत और लोगों के सहयोग के कारण सुखदेई ने फिर
पीछे मुड़ कर नहीं देखा. सुखदेई को बेहतर कार्य करने के लिए राज्य स्तर पर
कई पुरस्कार से नवाजा गया है. सुखदेई देवी अब चार से छह हजार रुपये
प्रतिमाह कमाई कर घर-परिवार की जिम्मेवारी संभाल रही हैं.

उन्हें एक मार्च को दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में देश भर के शिल्पकारों के
साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सम्मानित करेंगे. यह सम्मान पानेवाली सुखदेई
राज्य की संभवत: पहली महिला होंगी. इसके पूर्व 10-26 जनवरी 2010 तक रांची
में आयोजित राष्ट्रीय खादी महोत्सव में 4100 रुपये नकद व प्रशस्ति पत्र
देकर उन्हें सम्मानित किया गया. वर्ष 2011-12 में सूत कताई में बेहतर
योगदान के लिए 11 हजार रुपये नकद एवं प्रशस्ति पत्र तथा दो अक्तूबर 2013 को
झारखंड के राज्यपाल द्वारा 15000 रुपये नकद राशि का पुरस्कार उन्हें मिला.

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