70 प्रतिशत पैकेज्ड वाटर सुरक्षित नहीं

कोलकाता:
भारत में 70 प्रतिशत पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर सुरक्षित नहीं हैं. पानी की
बोतलों पर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) द्वारा सर्वे जारी किया गया
है. बीआइएस के महानिदेशक सुनील सोनी ने बताया कि बोतलों की पैकेजिंग एंड
लेबलिंग में धांधली का मामला सामने आया है, इसलिए ब्यूरो ऑफ इंडियन
स्टैंडर्ड ने इस पर रिसर्च और सर्वे शुरू किया, ताकि यह पता चल सके कि
मिनरल वाटर में होनेवाले जरूरी तत्व पानी में हैं या नहीं. इसके पैकेट में
बैच नंबर, पैकिंग और खराब होने की तारीख लिखी गयी है या नहीं.

मालूम हो कि बोतलबंद पानी के लिए आईएसआइ मार्क लेना जरूरी कर दिया गया
था. यह बाध्यता पैकेज्ड पेयजल और पैकेज्ड मिनरल वाटर पर लागू है. बोतल या
पैकेट आदि में बिकनेवाले पानी या मिनरल वाटर के विनिर्माण, बिक्री और
प्रदर्शन भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) प्रमाणन के बिना नहीं की जा सकती है.

बीआइएस आइएसआइ मार्क देता है. बीआइएस ने खाद्य मिलावट निरोधक कानून के
तहत पेयजल व मिनरल वाटर के लिए अलग-अलग प्रमाणन तय किया है. जानकारी के
अनुसार फिलहाल देश में 18 बीआइएस लाइसेंसधारक पैकेज्ड प्राकृतिक मिनरल वाटर
बना रही हैं, जबकि 2,354 ऐसी इकाइयां आरओ (रिवर्स ऑसमोसिस) के जरिए
पैकेज्ड पेयजल और 633 फर्म प्राकृतिक संसाधनों से बोतलबंद पानी बना रही
हैं.

उन्होंने बताया कि उद्योग क्षेत्र में प्रमाणीकरण कुशलता लाने के लिए
बीआइएस ने हाल ही में नये स्कीम लांच किये हैं, जिनमें सेल्फ डिक्लेरेशन
स्कीम  फार मेनुफैक्चरस ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आइटी प्रोडक्ट्स तैयार किये
हैं , इसके अलावा  उत्पादों की अनुरूप मूल्यांकन योजना के लिए सेल्फ
डिक्लेरेशन ऑफ कंफर्मिटी टू इंडियन स्टैंडर्ड्स तैयार किया है. साथ ही आइ
केयर प्रोग्राम भी राष्ट्रीय स्तर पर लांच किया है. हॉलमार्क की ज्वेलरी के
लिए आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी किया जायेगा, ताकि ग्राहकों को असली और नकली
ज्वेलरी की पहचान करने में सुविधा हो सके. वहीं ज्वेलर्स के लिए भी लाइसेंस
फीस में कमी दी जायेगी.

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