रांची: यूनिसेफ झारखंड के प्रमुख जॉब जकारिया ने कहा है कि अभी राज्य
में प्रतिदिन पचास नवजात शिशुओं की जन्म के पहले महीने में (जन्म के 28
दिनों के अंदर) ही मौत हो जाती है. साल भर में 19000 नवजात शिशु मरते हैं.
हालांकि पिछले एक दशक के मुकाबले शिशुओं की मौत में कमी आयी है. वर्ष 2000
में साल भर में 31,000 नवजात शिशु की मौत होती थी. नवजात शिशुओं की मौत को
रोकने के लिए अभी भी काफी प्रयास किया जाना बाकी हैं. इसे संस्थागत प्रसव
को बढ़ावा देने, ममता वाहन का उपयोग करने व अन्य उपायों से किया जा सकता
है. जॉब जकारिया मंगलवार को बीएनआर चाणक्य होटल में आयोजित सेव द चिल्ड्रेन
की रिपोर्ट के लोकार्पण के अवसर पर बोल रहे थे. यह रिपोर्ट नवजात शिशुओं
की मौत पर रोक लगाने के संबंध में थी.
मौके पर सेव द चिल्ड्रेन के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर महादेव हांसदा ने
कहा कि 2012 में पूरे विश्व में 2.9 मिलियन नवजात शिशुओं की मौत हुई थी. एक
मिलियन बच्चे जन्म के एक घंटे के अंदर ही मर जाते हैं. मौत के मुख्यत: तीन
कारण हैं – प्री मैच्योर बेबी का होना, जन्म के समय हुए कंप्लीकेशन एवं
इंफेक्शन. महादेव हांसदा ने कहा कि नवजात शिशुओं की मौत को रोकने के लिए
मां एवं नवजात शिशुओं की उचित देखभाल, ब्रेस्ट फीडिंग एव सोशल अपलिफ्टिंग
को जरिया बनाया जा सकता है. बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष रूपलक्ष्मी
मुंडा ने कहा कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ा
कर शिशुओं की मौत पर अंकुश लगाया जा सकता है. कार्यक्रम को सामाजिक
कार्यकर्ता बलराम, डॉ मनीष रंजन, डॉ धनंजय सहित अन्य ने भी संबोधित किया.