भारतीय रिजर्व बैंक की एक विशेष समिति ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में
ऋण व्यवस्था मजबूत करने के लिए सीधे किसानों को ऋण माफी का लाभ और अन्य
सुविधाएं दी जानी चाहिए।
आरबीआई की "आरबीआई कमिटी ओन कम्पट्वीहेंसिवफाईनेंशियल सर्विसेस फार स्माल
बिजीनेसेज एंड लो इन्कम हाउसहोल्ड" (सीसीएफएस) की हाल में जारी एक रिपोर्ट
में यह सिफारिश करते हुए कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय
मजबूती प्रदान करना भारतीय बैंकिंग नीति का महत्वपूर्ण लक्ष्य रहा है और
इसमें कोई शक नहीं है कि इसमें सफलता भी मिली है। हालांकि लागत, जोखिम और
प्रभावशीलता की दृष्टि से कुल मिलाकर हालत अभी खराब ही हैं।
सरकार के आंकडों के अनुसार देश में ऋण का अनुपात जीडीपी का 70 प्रतिशत है।
कृषि में यह 36 प्रतिशत से भी कम है। यह दर्शाता है कि सभी नीतियों में
प्राथमिकता देने के बावजूद इस क्षेत्र में औपचारिक ऋण की पहुंच कम रही है।
यह किसानों पर अनौचारिक रूप से संदेह का वातावरण बनने के कारणों का परिणाम
है।
सीसीएफएस की सिफारिश के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की ऋण मांग को पूरा करने
के लिए बैंकों को अपने जोखिम प्रबंधन पर ऋण जारी करने दिया जाए और सरकार
किसी भी तरह का लाभ जैसे ब्याज छूट और ऋण माफी सीधे किसानों को ही दे। ऋण
वापसी के नैतिक मूल्यों और लेनदारों के प्रदर्शन को आंकने के लिए एक व्यापक
तरीका अपनाया जाना चाहिए।
ऋण व्यवस्था मजबूत करने के लिए सीधे किसानों को ऋण माफी का लाभ और अन्य
सुविधाएं दी जानी चाहिए।
आरबीआई की "आरबीआई कमिटी ओन कम्पट्वीहेंसिवफाईनेंशियल सर्विसेस फार स्माल
बिजीनेसेज एंड लो इन्कम हाउसहोल्ड" (सीसीएफएस) की हाल में जारी एक रिपोर्ट
में यह सिफारिश करते हुए कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय
मजबूती प्रदान करना भारतीय बैंकिंग नीति का महत्वपूर्ण लक्ष्य रहा है और
इसमें कोई शक नहीं है कि इसमें सफलता भी मिली है। हालांकि लागत, जोखिम और
प्रभावशीलता की दृष्टि से कुल मिलाकर हालत अभी खराब ही हैं।
सरकार के आंकडों के अनुसार देश में ऋण का अनुपात जीडीपी का 70 प्रतिशत है।
कृषि में यह 36 प्रतिशत से भी कम है। यह दर्शाता है कि सभी नीतियों में
प्राथमिकता देने के बावजूद इस क्षेत्र में औपचारिक ऋण की पहुंच कम रही है।
यह किसानों पर अनौचारिक रूप से संदेह का वातावरण बनने के कारणों का परिणाम
है।
सीसीएफएस की सिफारिश के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की ऋण मांग को पूरा करने
के लिए बैंकों को अपने जोखिम प्रबंधन पर ऋण जारी करने दिया जाए और सरकार
किसी भी तरह का लाभ जैसे ब्याज छूट और ऋण माफी सीधे किसानों को ही दे। ऋण
वापसी के नैतिक मूल्यों और लेनदारों के प्रदर्शन को आंकने के लिए एक व्यापक
तरीका अपनाया जाना चाहिए।