कोटद्वार में गेहूं की बंपर पैदावार की चाहत में हाइब्रिड बीज बोने के बाद फसल पर नजरें गड़ाए बैठे सैकड़ों किसानों की आंखें उस समय फटी की फटी रह गईं जब उन्हें अपने खेतों में गेहूं की कुछ और दिखाई दिया।
किसानों ने गौर से देखा तो पाया कि गेहूं तो कम जमे हैं पर एक नई तरह की घास ज्यादा उगी है, जिसे पहली बार ही देखा भी। इस घास को जानवर तक नहीं खा रहे।
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि हाइब्रिड बीज के चक्कर में इस वर्ष उनकी गेहूं की फसल चौपट हो गई है।
अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म के गेहूं का बीज बोया था, लेकिन उसकी जगह घास उग आई है। बताया कि कृषि विभाग की ओर से इस बार भाबर क्षेत्र के किसानों को हाइब्रिड बीज दिया गया।
कई किसानों ने अपने घर का पारंपरिक बीज छोड़ इसे बो दिया। कुछ दिनों बाद देखा तो खेतों में गेहूं तो बहुत कम जमे हैं, लेकिन एक नई किस्म की घास उग गई।
अब स्थिति यह है कि किसानों की करीब 60 से 70 प्रतिशत तक गेहूं की खेती बर्बाद हो चुकी है।
इनका कहना है कि ये घास इतनी खतरनाक है कि गेहूं सहित दूसरी सभी खरपतवार को भी नष्ट कर रही है। किसानों ने बताया कि यह घास जाल बनकर गेहूं के बीच में जमी है।��
जब यह घास छोटी थी तब से ही किसानों ने कृषि विभाग से और बाजार से दवाइयां लाकर इस पर छिड़काव किया था। शिकायत पर कृषि विभाग के अधिकारी भी मौके पर गए, लेकिन वह भी कोई समाधान नहीं बता पाए।
हमने 15 बीघा खेत में हाइब्रिड बीज बोया। गेहूं तो ठीक से जमा नहीं, घास जरूर उग आई है। लगभग 70 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है। दवाई का छिड़काव किया लेकिन घास समाप्त नहीं हुई।
– प्रतीक नेगी, दुर्गापुरी
हमने लगभग पांच बीघे में गेहूं बोया। हाइब्रिड के चक्कर में अपने घर के बीज छोड़ दिए, लेकिन खेतों में गेहूं की जगह घास दिख रही है। 60 प्रतिशत खेती खराब हो चुकी है।
– लीला नेगी, दुर्गापुरी
खेतों से इस घास को निकालते-निकालते परेशान हो गए। पहली बार इस तरह की घास खेतों में देखी है। इसे जानवर भी नहीं खा रहे हैं। खेतों में गेहूं की जगह घास ही नजर आ रही है।
– अनीता सिंह, खूनीबड़
मामला संज्ञान में नहीं है। खेतों में जाकर देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। बीज बोने के तरीके या फिर अन्य किसी कारण से ऐसा हो सकता है। क्षेत्र में जाकर इसका जायजा लिया जाएगा।
– राजेंद्र कुमार गहलोत, कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी