चुनाव बाद सिरे चढ़ेंगी विकास दर की चिंताएं- जयंतीलाल भंडारी

यह बजट से पहली आई खराब खबर है। केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन के अग्रिम
अनुमानों में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2013-14 में आर्थिक विकास दर 4.9
प्रतिशत रहने की आशंका है। वैसे यह विकास दर पिछले वित्त वर्ष में दर्ज की
गई 4.5 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर से ज्यादा है, लेकिन इसके बावजूद यह
निराशाजनक इसलिए है, क्योंकि वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले साल आम बजट
पेश करते हुए चालू वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान आर्थिक विकास दर के छह
फीसदी से अधिक रहने का अनुमान व्यक्त किया था, मगर अर्थव्यवस्था की तस्वीर
उतनी उजली नहीं हो सकी। यह विकास दर भी हमें तब मिल रही है, जब पहले के
विपरीत इस साल कृषि विकास दर के काफी अच्छा रहने की उम्मीद बंधी है। सर्विस
सेक्टर की वृद्धि दर भी चालू वित्त वर्ष में 11.2 प्रतिशत रहने की संभावना
है, जबकि ठीक एक साल पहले यह दर 10.9 प्रतिशत आंकी गई थी। मैन्युफैक्चरिंग
सेक्टर की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में बढ़ने की बजाय 0.2 फीसदी
नकारात्मक रहने का अनुमान है, जबकि बीते वित्त वर्ष में यह 1.1 प्रतिशत थी।

अर्थ-विशेषज्ञ विकास दर घटने के कई कारण बता रहे हैं। विनिर्माण, निर्माण
और खनन क्षेत्र का खराब प्रदर्शन इसकी प्रमुख वजह है। हाल ही में अमेरिका
के नेशनल साइंस बोर्ड की रिपोर्ट जारी हुई है, जिसमें बताया गया है कि
कौन-सा देश अपने विकास और नवाचार के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान का कितना उपयोग
करता है। यह रिपोर्ट भारत के संदर्भ में काफी निराशाजनक है। रिपोर्ट के
मुताबिक अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अमेरिकी खर्च दुनिया में सबसे
अधिक है। अमेरिका के बाद चीन अनुसंधान और विकास पर खर्च करने वाला विश्व का
दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत उद्योग, कृषि और सेवा क्षेत्र में विकास
संबंधी अनुसंधान के मामले में बहुत पीछे है। इस मद में भारत चीन के व्यय की
तुलना में दसवें भाग के आस-पास दिखाई दे रहा है। भारत रत्न सीएनआर राव भी
वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए कम राशि के प्रावधान पर चिंता जता चुके हैं।
चालू वित्त वर्ष 2013-14 में खपत, निवेश और सरकारी खर्च कम रहने की वजह से
अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत नहीं दिखे हैं।

वर्ष 2013-14 में देश में विभिन्न वर्गों के लिए जो सब्सिडी दी गई है,
उसमें कॉरपोरेट सेक्टर की सब्सिडी अधिक है। किसानों को वास्तविक रूप में
मिलने वाली कृषि सब्सिडी सबसे कम है। अब यह बहुत जरूरी हो गया है कि सरकार
मैन्युफैक्चरिंग और खनन सेक्टर में तेजी लाने और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के
रास्ते के अवरोधों को दूर करने के प्रयास करे। ऐसे बहुत सारे काम अभी बाकी
हैं। लेकिन फिलहाल इसके अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है कि हम मई में आम
चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार से ही उम्मीद बांधें।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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