नरकटियागंज : डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ोतरी से परेशान किसानों
के लिए अच्छी खबर है. अब वे गोबर से उत्पादित होनेवाला बायो सीएनजी से
ट्रैक्टर व अन्य कृषि उपकरण चला सकते हैं. यह कारनामा किया है पश्चिमी
चंपारण जिले के बढ़निहार गांव के एक युवा इंजीनियर ने. किसान विजय पांडेय
के पुत्र चंदन पांडेय गोबर से सीएनजी का उत्पादन कर न केवल ट्रैक्टर चला
रहे हैं, बल्कि इसे अन्य ऊर्जा स्नेत के रूप में भी प्रयोग कर रहे हैं.
चंदन पांडेय एनआइआइएमटी, दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने
के बाद एस्कॉर्ट ग्रुप, हल्दवानी से जुड़ कर गैस के विकास पर शोध कर रहे
हैं. वह बताते हैं कि देश के महानगरों में जो सीएनजी वाहन चलाने या अन्य
कार्यो में प्रयोग किया जा रहा है, वह पेट्रोलियम पदार्थ से लिया गया है.
जबकि उनके द्वारा निर्मित सीएनजी गोबर से तैयार होता है.
निर्माण की प्रक्रिया : चंदन पांडेय ने बताया कि किसी भी चीज को जलाने
पर मीथेन गैस प्राप्त होती है. एक किलो गोबर से निकलनेवाली एक किलो गैस में
65 } मीथेन व 30 } कार्बन होता है. ज्यादा-से-ज्यादा मीथेन प्राप्त हो
सके, इसके लिए वे गोबर गैस बनाने की प्रक्रिया को सात चरणों में दुहराते
हैं. फिर वे इसकी बॉटलिंग कर इसका अलग-अलग प्रयोग करते हैं.
पशुपालन में बढ़ेगी रुचि : खेतीबारी के लिए बायो सीएनजी पर निर्भरता
बढ़ने के बाद स्वभाविक रूप से किसानों की रुचि पशुपालन के प्रति बढ़ेगी.
गोबर के लिए लोग पशुओं को पालेंगे. इससे किसानों को दोहरा लाभ होगा. खेती
में लागत कम आने के साथ ही दूध का उत्पादन कर भी किसान अच्छी आमदनी कर सकते
हैं.
चंदन का प्रयास सराहनीय है. इससे किसानों को लाभ मिलेगा. किसान सीएनजी
का प्रयोग बिजली जलाने, खाना बनाने और कृषि कार्यो के लिए कर सकते हैं.
अभय सिंह, डीएम, पश्चिमी चंपारण
दौड़ेगा ट्रैक्टर, होगी सिंचाई
किसान इसका प्रयोग सिंचाई उपकरण से लेकर ट्रैक्टर चलाने तक में कर सकते
हैं. पांच केवीए का एक जेनसेट एक किलो सीएनजी में 45 मिनट चलेगा. डय़ूएल
फ्यूल सिस्टम से ट्रैक्टर चलाने पर 65 % डीजल की बचत होगी. इस सिस्टम का
प्रयोग अब तक सिर्फ यूरोप में हो रहा है. पाकिस्तान में भी प्रयास हुआ था
पर सफल नहीं हुआ.