केंद्र सरकार
ने अक्टूबर 2014 से शुरू होने वाले आगामी पेराई सीजन के लिए गन्ने के उचित
एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में मामूली 10 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 220
रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति
(सीसीईए) की गुरुवार को हुई बैठक में पेराई वर्ष 2014-15 के लिए गन्ने के
एफआरपी में बढ़ोतरी की गई, लेकिन चीनी मिलों को 40 लाख टन रॉ-शुगर के
निर्यात पर इंसेंटिव देने पर कोई फैसला नहीं हो सका।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी
थॉमस ने बैठक के बाद बताया कि सीसीईए ने गन्ने के एफआरपी में 10 रुपये की
बढ़ोतरी कर अक्टूबर 2014 से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन के लिए दाम 220
रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया।
चीनी मिलें किसानों से एफआरसी से नीचे भाव पर गन्ने की खरीद नहीं कर
सकती है, हालांकि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में राज्य
सरकारें गन्ने का अलग से राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करती है। चालू
पेराई सीजन के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी 210 रुपये प्रति
क्विंटल तय किया हुआ है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने का एसएपी 280
रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने अक्टूबर से शुरू होने वाले नए
पेराई सीजन के लिए गन्ने के एफआरपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी
का प्रस्ताव किया था। उधर खाद्य मंत्रालय ने भी सीएसीपी की सिफारिशों के
आधार पर ही गन्ने का एसएपी 220 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की
थी।
सूत्रों के अनुसार खाद्य मंत्रालय और कृषि मंत्रालय की आपसी सहमति नहीं
होने के कारण ही 40 लाख टन रॉ-शुगर के निर्यात पर चीनी मिलों को इंसेंटिव
देने पर फैसला गुरुवार को हुई सीसीईए की बैठक में भी नहीं हो सका। इससे
पहले भी सीसीईए की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव आया था लेकिन सहमति नहीं
होने से फैसला नहीं हो सका था।