बिहार में फिर एक ‘अँखफोड़वा कांड’- मनीष शांडिल्य

बिहार के सुपौल जिले के हांसा गांव में चोरी के आरोप में पकड़े गए एक युवक
की आंखों में ‘तेजाब’ डाले जाने का मामला सामने आया है। ये घटना मंगलवार
रात की है जिसमें रंजीत सादा नाम के युवक के साथ ये घटना पेश आई।

घटना
जिले के किसनपुर थाना अंतर्गत थरबिट्टा कोसी बांध क्षेत्र की है। प्राप्त
सूचना के अनुसार मंगलवार रात चोरी के आरोप में पकड़े गए महादलित समुदाय के
रंजीत की ग्रामीणों ने न सिर्फ जम कर पिटाई की बल्कि उनकी आंखों में तेजाब
भी डाल दिया।

इस सिलसिले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया
है। साथ ही पुलिस एक और व्यक्ति की तलाश कर रही है। हालांकि घटना के संबंध
में चिकित्सा विभाग और पुलिस महकमे के अधिकारी अलग-अलग बातें कह रहे हैं।

जहां
एक ओर सुपौल सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर एके वर्मा ने रंजीत के आंखों
में तेजाब डाले जाने की बात कही है। वहीं जिले के प्रभारी पुलिस अधीक्षक
मनोज कुमार ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि पीड़ित के आंखों में तरल
पदार्थ डालने का मामला सामने आया है।

मनोज कुमार का कहना कि तरल पदार्थ तेजाब था या कुछ और यह चिकित्सीय रिपोर्ट से ही सामने आ पाएगा।

आँखें क्षतिग्रस्त

साथ ही पुलिस की ओर से यह भी कहा जा रहा है कि अभियुक्तों के यहां तलाशी के दौरान थाइमेट या तेजाब जैसा कोई रसायन नहीं मिला है।

डॉक्टर
वर्मा के अनुसार बेहतर इलाज के लिए किशनपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से
सुपौल जिला अस्पताल भेजे जाने के बाद बुधवार दोपहर बारह और एक बजे के बीच
रंजीत अपने परिजनों के साथ सुपौल सदर अस्पताल पहुंचा था।

जांच के
बाद चिकित्सकों ने पाया कि तेजाब डाले जाने के करण उनकी दोनों आँखों को
काफ़ी नुक़सान पहुँचा था और अस्पताल में नेत्र चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने
के कारण मरीज को कल दोपहर ही बेहतर इलाज के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज रेफर
कर दिया गया।

दूसरी ओर इस संबंध में डीएमसीएच से प्राप्त जानकारी के
मुताबिक ऐसा कोई भी मरीज गुरुवार दोपहर तक अस्पताल नहीं पहुंचा था। ऐसे
में पीड़ित द्वारा किसी निजी अस्पताल या क्लीनिक में इलाज कराए जाने की
संभावना जताई जा रही है।

पीड़ित को अभी तक कोई सरकारी सहायता उपलब्ध
नहीं कराई गई है। प्रभारी पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार के अनुसार जल्द ही इस
संबंध में पहल किए जाने की संभावना है।

तेजाब हमले

गौरतलब
है कि 1979-80 में भागलपुर जेल में बंद कई कैदियों को आंखों में तेजाब डाल
कर अंधा कर दिया गया था। इस घटना को भागलपुर अखफोड़वा कांड के रूप में
जाना जाता है। बाद में बिहार से आने वाले फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश
झा ने इसी विषय पर फिल्म ‘गंगाजल’ बनाई थी।

बीते दो सालों के दौरान बिहार में तेजाब फेंके जाने की कुछ घटनाएं हुई हैं।

साल
2013 में 27 सितंबर को समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर भीख मांग कर गुजारा करने
वाली एक महिला पर तेजाब फेंका गया था। गणेश नामक एक रिक्शा चालक ने महिला
द्वारा यौन शोषण का विरोध करने पर उस पर तेजाब फेंक दिया था।

साल
2012 में 21 अक्तूबर को पटना जिले के मनेर की एक दलित युवती तेजाब हमले का/> शिकार हुई थी। युवती पर रात के वक्त उसके गांव के तीन लड़कों ने तेजाब से
तब हमला किया गया था जब वह अपनी बहन के साथ सो रही थी। घटना में उनकी बहन
भी घायल हो गई थी।

इसी साल 26 सितंबर को सारण जिले में एक मुस्लिम
युवती पर उसके ही एक सहपाठी ने तेजाब फेंका था। पंद्रह साल की इस युवती पर
जब तेजाब डाला गया था जब वह ट्यूशन पढ़ने के लिए जा रही थी।

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