पूरी दुनिया में बढ़ रही है विलय एवं अधिग्रहण की भूख

उम्मीद : नकदी से लबालब कंपनियों में बढ़ा है भरोसा, सेंटिमेंट में सुधार से इस साल हो सकते हैं ज्यादा सौदे

स्थिरता से फायदा
विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियों का आत्मविश्वास बढ़ा है जिसकी वजह से इस साल वे पिछले साल के मुकाबले ज्यादा सौदे करने की क्षमता रखती हैं
निवेशकों ने पिछले तीन-चार साल से धैर्य बनाए रखा है, लेकिन अब सौदे
करने की क्षमता लगातार बढ़ती जा रही है और वैश्विक बाजारों में कुछ
स्थिरता दिख रही है
पिछली तिमाही में ज्यादा सौदे हुए हैं और रुचि बढ़ी है। वर्ष 2014 विलय एवं अधिग्रहण मामले में ज्यादा बेहतर साल होने
की उम्मीद है

भारत सहित दुनिया की कई दिग्गज कंपनियां वर्ष 2014 में विलय एवं
अधिग्रहण (एमएंडए) के लिए ज्यादा भूख दिखाएंगी। केपीएमजी के ग्लोबल एमएंडए
प्रेडिक्टर में यह अनुमान लगाया गया है।विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियों
का आत्मविश्वास बढ़ा है जिसकी वजह से इस साल वे पिछले साल के मुकाबले
ज्यादा सौदे करने की क्षमता रखती हैं।

केपीएमजी इंटरनेशनल में कॉरपोरेट फाइनेंस के ग्लोबल हेड और पार्टनर टॉम
फ्रैंक्स ने कहा, ‘निवेशकों ने पिछले तीन-चार साल से धैर्य बनाए रखा है,
लेकिन अब सौदे करने की क्षमता लगातार बढ़ती जा रही है और वैश्विक बाजारों
में कुछ स्थिरता दिख रही है जिससे नकदी से लबालब कंपनियों के पास इस बात के
लिए दबाव बढ़ गया है कि फिर से नए सौदों की तरफ बढ़ें।

‘ अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के द्वारा मात्रात्मक नरमी को
वापस लेने के कदम से कॉरपोरेट का उत्साह कुछ मंदा पड़ सकता है। हालांकि,
क्षमता बढऩे और भरोसा भी बढऩे की वजह से इस साल सौदों की संख्या ज्यादा
रहेगी।

भारत में विलय एवं अधिग्रहण और निजी इक्विटी निवेश के रुख के बारे में
केपीएमजी इंडिया के कॉरपोरेट फाइनेंस हेड अशोक मित्तल ने बताया, ‘हमने
पिछली तिमाही में ही ज्यादा सौदे और रुचि बढ़ते देखा है और 2014 इस मामले
में ज्यादा बेहतर साल होने की उम्मीद है। ग्रोथ के लिहाज से देखें तो
भारतीय अर्थव्यवस्था अब निचले स्तर से ऊपर की ओर बढ़ती दिख रही है और
वैश्विक अर्थव्यवस्था में ज्यादा स्थिरता की वजह से विलय एवं अधिग्रहण की
गतिविधियां बढ़ेंगी।’

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष2013 भारत में विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों के
मामले में एक ‘चुनौतीपूर्ण साल’ था। मित्तल ने बताया, ‘घरेलू अर्थव्यवस्था
में सुस्ती आने, ऊंचे ब्याज दरों के माहौल, सुधारों के मोर्चे पर काफी कम
प्रगति होने और रुपये में उतार-चढ़ाव की वजह से पहले विलय एवं अधिग्रहण
गतिविधियां काफी मंद रही हैं।

‘ हालांकि, पूरे बाजार का सेंटिमेंट अब निस्संदेह सकारात्मक है, लेकिन
अभी सौदों की संख्या रफ्तार नहीं ले पाई है। केपीएमजी की रिपोर्ट के अनुसार
जनवरी, 2013 में हुए कुल 30,945 सौदों के मुकाबले दिसंबर, २०१४ में कुल
27,194 सौदे ही हुए जो 12 फीसदी कम है।

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