पटना: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिहार सरकार के तर्को
पर सहमति जताते हुए झारखंड से बकाया पैसा दिलाने का आश्वासन दिया है. दो
दिन पूर्व केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव से वित्त विभाग के प्रधान
सचिव रामेश्वर सिंह ने भेंट कर झारखंड पर कार्रवाई का अनुरोध किया था.
झारखंड सरकार पर पेंशन मद का लगभग सात हजार करोड़ से अधिक का बकाया है.
ढ़ाई वर्ष पूर्व तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव ने झारखंड सरकार को 2584 करोड़
रुपया भुगतान करने का निर्देश दिया था, लेकिन झारखंड सरकार ने अड़ियल
रवैया अपनाते हुए मात्र 150 करोड़ ही बिहार को दिया है.
केंद्र से मिला भरोसा : दिल्ली से लौटने के बाद वित्त
विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह ने बताया कि गृह मंत्रालय के अपर सचिव
ने सकारात्मक भरोसा दिलाते हुए कहा है कि वह झारखंड सरकार को पैसा भुगतान
करने के लिए कहेंगे. बावजूद भुगतान नहीं होता है तो उसके खाते से रिजर्व
बैंक कटौती कर बिहार के खाते में राशि ट्रांसफर की जायेगी. प्रधान सचिव ने
केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष राज्य का पक्ष रखते हुए कहा है कि 2584
करोड़ रुपये भुगतान करने का फैसला ढ़ाई वर्ष पूर्व हुआ था. उस वक्त से उस
राशि का सूद ही लगभग एक से डेढ़ हजार करोड़ हो गया. इसके बाद राशि करीब
पांच हजार करोड़ से अधिक हो गयी.
कब तक सूद पर पैसा लेकर करेंगे भुगतान : बिहार सरकार
बाजार से कर्ज लेकर पेंशनरों को राशि भुगतान कर रही है. आखिर बिहार कब तक
सूद पर पैसा लेकर पेंशन का भुगतान करता रहेगा. प्रधान सचिव ने सरकार का
तर्क रखते हुए कहा कि सात हजार करोड़ कम राशि नहीं है. राशि नहीं मिलने से
योजनाएं प्रभावित हो रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव ने राज्य
सरकार के तर्को पर सहमति व्यक्त करते हुए राज्य के साथ न्याय करने की बात
कही है.
प्रावधान के बावजूद नहीं मिल रही राशि : झारखंड सरकार
के संसद में पेश बजट में चालू वित्तीय वर्ष में बिहार के भुगतान के लिए
500 करोड़ भुगतान का प्रावधान था. एक माह पूर्व झारखंड मंत्रिमंडल ने भी
298 करोड़ बिहार को देने के लिए मंजूरी दी. बावजूद अब तक राशि नहीं मिली
है. झारखंड सरकार ने 2011 में सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय के
फैसले पर रोक लगाने को लेकर याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने रोक लगाने से
इनकार करते हुए कहा था कि मामले को उचित फोरम में ले जायें. बाद में उसने
कहा कि संशोधित याचिका दाखिल करेंगे, लेकिन आज तक याचिका दाखिल नहीं हुई.