सरप्लस का संकट
गोदामों में ज्यादा स्टॉक होने से निर्यात आवश्यक
ज्यादा सप्लाई होने से विदेश में गेहूं 9 फीसदी सस्ता
लेकिन बेस प्राइस घटने से निर्यात के लिए अच्छा रिस्पांस
इससे विश्व बाजार में गेहूं के मूल्य पर और दबाव बनेगा
1000 लाख टन से ज्यादा रह सकता है गेहूं का उत्पादन
सरकार गोदामों में अत्यधिक भंडार को ध्यान में रखते हुए और ज्यादा
गेहूं निर्यात की अनुमति दे सकती है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं
उत्पादक देश है। गेहूं निर्यात के लिए बेस प्राइस घटाए जाने के बाद
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। दूसरी ओर
विश्व बाजार में गेहूं की सप्लाई मांग से कहीं ज्यादा हो रही है।
सरकार गेहूं निर्यात के मामले में अत्यधिक सतर्कता से कदम उठा रही है
क्योंकि उसे विशाल आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चित करनी है। उसने
2011 में गेहूं निर्यात से पाबंदी हटाई थी और प्राइवेट व्यापारियों को
निर्यात की अनुमति दी थी।
इसके बाद गेहूं की बंपर पैदावार के साथ अपर्याप्त भंडारण क्षमता के कारण
बर्बादी होने पर सरकार अपने गोदामों से निर्यात करने को मजबूर हो गई।
पिछले वित्त वर्ष 2012-13 से अब तक सरकार अपने गोदामों से करीब 45 लाख टन
गेहूं का निर्यात कर चुकी है। इस समय ट्रेडिंग कंपनियां सरकारी गोदामों से
20 लाख टन और गेहूं का निर्यात कर रही हैं।
भारत से और ज्यादा गेहूं की सप्लाई होने पर विश्व बाजार में मूल्य पर
दबाव बढ़ सकता है। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबॉट) में गेहूं के दाम पिछले
माह के दौरान 9 फीसदी घट चुके हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर सप्लाई ज्यादा
है। प्रमुख उत्पादक यूक्रेन ने 2013 में गेहूं का उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर
पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है।
निर्यात फैसले से सीधे तौर पर जुड़े एक सूत्र ने बताया कि इस साल देश
में गेहूं का उत्पादन बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पहुंच सकता है। इस वजह से और
ज्यादा गेहूं का निर्यात किए जाने की पूरी संभावना है। हालांकि गेहूं
निर्यात की मात्रा के बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है। इस समय
ट्रेडिंग कंपनियां पहले आवंटित 20 लाख टन गेहूं का निर्यात टेंडर के जरिये
कर रही हैं।
ये कंपनियां अब तक करीब 10 लाख टन का निर्यात कर चुकी हैं। सरकार द्वारा
निर्यात का बेस प्राइस 300 डॉलर से घटाकर 260 डॉलर प्रति टन तय किए जाने
के बाद सरकारी ट्रेडिंग कंपनियों एमएमटीसी, पीईसी और एसटीसी को अच्छा
रिस्पांस मिल रहा है। और गेहूं निर्यात के बारे में फैसला मार्च में होने
की संभावना है।
एक अन्य सरकारी सूत्र ने बताया कि आवंटित गेहूं में से बकाया 10 लाख टन
का निर्यात होने के बाद इसके बारे में फैसला होने की संभावना है। तब तक
गेहूं की अगली फसल के उत्पादन के बारे मे और स्पष्ट अनुमान लग जाएगा। पिछले
दिनों कृषि मंत्री शरद पवार ने देश में इस साल 1000 लाख टन से ज्यादा
गेहूं का उत्पादन होने की संभावना जताई थी।