केंद्र सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन का खामियाजा बिहार को
लक्ष्य के अनुरूप राजस्व संग्रह में विफल रहने पर केंद्र ने करों में
बिहार की हिस्सेदारी में 3000 करोड़ की कटौती की है. इतना ही नहीं, केंद्र
ने सुखाड़ से निबटने के लिए अब तक न 12500 करोड़ की मदद दी और न ही एनएच की
मरम्मत के 969 करोड़ लौटाये हैं.
पटना : केंद्र में लक्ष्य से कम राजस्व संग्रह का असर बिहार पर पड़ने
लगा है. केंद्रीय करों में जो राज्यों की हिस्सेदारी होती है, उसमें कटौती
शुरू हो गयी है. यानी केंद्र सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन का खामियाजा बिहार
को भुगतना होगा.
केंद्रीय करों करोड़ में बिहार की 32 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलनी तय है,
लेकिन अब उसमें नौ प्रतिशत यानी हर किस्त में 600 करोड़ रुपये की कटौती
शुरू हो गयी है. पिछले वित्तीय वर्ष (2012-13) में भी केंद्रीय करों में
3000 करोड़ रुपये की कटौती की गयी थी. इसका परिणाम यह है कि राज्य सरकार
अपनी योजनाओं के खर्च से हाथ खींचने लगी है. अब राज्य सरकार जरूरी खर्च पर
भी रोक लगाने जा रही है. संभवत: अगले सप्ताह तक वित्त विभाग इससे संबंधित
आदेश जारी कर देगा.
हर किस्त में 600 करोड़ की हो रही है कटौती : वित्त विभाग के अधिकारियों
के अनुसार केंद्रीय करों में से राज्य को चालू वित्तीय वर्ष में 38 हजार
करोड़ रुपये यानी हर माह 2700 करोड़ रुपये मिलते हैं. जनवरी से इसमें छह सौ
करोड़ रुपये की कटौती करने का संकेत केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने राज्य
सरकार को दिया है.
जनवरी से लेकर मार्च तक केंद्रीय करों में से पांच किस्तों में राशि
मिलती है. इस तरह 3000 करोड़ रुपये कम मिलेंगे. राज्य सरकार इस संकेत के
बाद अपने खर्च में कटौती का अभियान शुरू कर दिया है. किन-किन मदों में
कटौती की जायेगी, उससे संबंधित आदेश अगले सप्ताह जारी हो जायेगा.
अधिकारियों के अनुसार, अनुदान और सहायता मद में कटौती किये जाने का
संकेत अब तक नहीं मिला है, लेकिन जो संकेत मिल रहा है, उसमें भी कटौती से
इनकार नहीं किया जा सकता है. सर्व शिक्षा अभियान में अब तक केंद्र से राशि
नहीं मिला है, जबकि पहले कहा गया था कि दिसंबर के अंत तक राशि विमुक्त कर
दी जायेगी.
कटौती से क्या होगा प्रभावित : वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार,
केंद्रीय करों में कम हिस्सेदारी मिलने से शिक्षा, स्वास्थ्य, आंगनबाड़ी
केंद्र के संचालन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, एरियर के भुगतान, नये वाहनों की
खरीदारी, पुराने वाहनों की मरम्मत, राज्य कर्मियों को कंप्यूटर व वाहन की
खरीदारी के लिए मिलनेवाले कर्ज आदि को स्थगित कर दिया जायेगा. अगर वित्तीय
स्थिति में सुधार हुआ, तो अगले वित्तीय वर्ष में इसे चालू किया जा सकता है.
असर को कम करने का प्रयास शुरू : रामेश्वर सिंह : वित्त विभाग के प्रधान
सचिव रामेश्वर सिंह का कहना है कि पिछले वर्ष भी केंद्रीय करों में
हिस्सेदारी में कटौती हुई थी. यह क्रम पिछले कई वर्षो से चल रहा है. इसका
असर सिर्फ चालू वित्तीय वर्ष में ही नहीं, बल्कि अगले वित्तीय वर्ष पर
पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है.
सरकार इस वर्ष भी केंद्र की कटौतीसे होनेवाले असर को कम करने के लिए
खर्च में कटौती कर सकती है. विभाग के स्तर पर इसको लेकर गंभीरता से विचार
किया जा रहा है. अगले सप्ताह तक निर्णय ले लिया जायेगा.
नहीं मिले 969 करोड़
पटना : बिहार में एनएच की मरम्मत पर राज्य सरकार ने अपने मद से 969. 77
करोड़ रुपये खर्च किये हैं. इसके भुगतान के लिए वह केंद्र को बार-बार कह
रही है, पर अब तक यह राशि नहीं मिली है. मुख्यमंत्री ने एक सप्ताह पूर्व
केंद्रीय मंत्री ऑस्कर फर्नाडीस को पत्र लिख कर राशि की एक बार फिर मांग
की.
सर्वेक्षण हुआ, मदद नहीं
राज्य के 35 सूखाग्रस्त जिलों का केंद्रीय टीम ने सर्वेक्षण तो किया, पर
अब तक सहायता राशि नहीं मिली है. राज्य में सुखाड़ से 12500 करोड़ की
क्षति का अनुमान लगाया गया था. जांच दल ने भी कहा था कि बिहार को मदद मिलनी
चाहिए. जांच दल की अनुशंसा ग्रुप ऑफ मिनिस्टर तक ही पहुंचा है.
केंद्र अपने खर्च में कटौती करे. राज्यों की हिस्सेदारी में कटौती करना
उचित नहीं है. इससे राज्य सरकार के बजट पर असर पड़ेगा. विकास योजनाएं
प्रभावित होंगी. केंद्र लक्ष्य के अनुरूप राजस्व संग्रह नहीं कर पा रहा है,
तो इसके राज्यों का क्या कसूर है. यह उसके वित्तीय कुप्रबंधन का परिणाम
है.
शैबाल गुप्ता, सदस्य, सचिव आद्री