भोपाल : मध्यप्रदेश में पैदा होने वाला बासमती चावल अब विदेश में भी महक
सकेगा. सरकार ने मध्य प्रदेश को विदेशों में चावल निर्यात करने की मंजूरी
दे दी है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उत्पाद की भौगोलिक सीमा तय करने वाली
राष्ट्रीय संस्था जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्रेशन (जीआईआर) ने कृषि
उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मध्यप्रदेश को बासमती उत्पादन
करने वाले राज्यों से अलग रखने संबंधी आदेश को खारिज करने के साथ मध्य
प्रदेश भी अब विदेशों में बासमती चावल निर्यात कर सकेगा.
सूत्रों के अनुसार जहां किसान अब विदेशों में बासमती चावल निर्यात कर
सकेंगे वहीं प्रदेश के 14 बासमती उत्पादक जिलों के करीब चार लाख किसानों को
चावल के सही दाम भी मिलेंगे. उन्होंने बताया कि इस निर्णय से
निर्यातकों की संख्या बढ़ेगी और चावल प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिये
उद्योगपति प्रदेश की ओर आकर्षित होंगे. वर्तमान में ही लगभग एक दर्जन
मिलिंग प्लांट स्थापित करने के आवेदन उद्योग विभाग के समक्ष लंबित हैं.
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में लगभग छह लाख टन बासमती चावल का उत्पादन होता
है और प्रदेश के किसानों को विदेश में चावल निर्यात करने की अनुमति नहीं
होने से कुल उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत उत्तर प्रदेश के व्यापारी खरीदकर
विदेशों को निर्यात करते थे.
सूत्रों के अनुसार प्रदेश में बासमती उत्पादक जिलों में गुना, विदिशा,
सीहोर, होशंगाबाद, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, श्योपुर, दतिया, शिवपुरी
जबलपुर, नरसिंहपुर, और हरदा हैं. मुख्यमंत्री श्विराज सिंह चौहान ने
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को प्रदेश को बासमती चावल के उत्पादन के
क्षेत्र में अधिसूचित करने के लिये पत्र लिखा था.
प्रदेश के कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डा. राजेश राजौरा ने बताया कि
(जीआईआर) के फैसले से प्रदेश के बासमती चावल को विदेशों में निर्यात की
अनुमति मिल गई है और एपीडा द्वारा मध्य प्रदेश को बासमती उत्पादक राज्यों
से अलग रखने संबंधी आदेश को खरिज कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि एपीडा द्वारा इस आदेश के खिलाफ इंटलेक्चुअल प्रापर्टी
अपीलेट बोर्ड चैन्नई के समक्ष अपील दायर करने की संभावनाओं को देखते हुए
मध्य प्रदेश शासन केवियट दायर करेगा.