बिहार की नदियों को जोड़ने की डीपीआर तैयार

पटना: बिहार देश में नदी जोड़ परियोजना का पहला उदाहरण बनने जा रहा है. तीन साल की मशक्कत के बाद केंद्र सरकार ने बिहार की पहली परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) स्वीकार कर लिया है. यह परियोजना है बूढ़ी गंडक, नोन, बाया और गंगा नदियों को जोड़ने की. इस परियोजना की लागत करीब 4600 करोड़ आयेगी. राज्य सरकार को उम्मीद है कि पूरी लागत राशि का वहन केंद्र सरकार करेगी. इस परियोजना के पूरा होने पर  समस्तीपुर, बेगूसराय और खगड़िया जिलों में बाढ़ की रोकथाम के अलावा करीब ढाई लाख एकड़ क्षेत्र की सिंचाई हो सकेगी.

डीपीआर स्वीकृत होनेवाली बिहार की यह परियोजना देश की पहली नदी जोड़ परियोजना है. राज्य सरकार ने नदी जोड़ने की कुल नौ  परियोजनाओं की डीपीआर तैयार करने के लिए केंद्र से अनुरोध किया है. इनमें सबसे पहले बूढी गंडक-नोन-बाया-गंगा नदियों को जोड़ने की परियोजना की डीपीआर की मंजूरी मिली है. इस बहुउद्देशीय परियोजना से बाढ़ के समय में बूढ़ी गंडक नदी का पानी नोन नदी और बाया नदी होते हुए गंगा तक लाया जा सकेगा.

राज्य सरकार इस डीपीआर का अध्ययन कर रही है. जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत डीपीआर को केंद्रीय जल आयोग के समक्ष टेक्नीकल इको क्लीयरेंस के लिए भेजा जायेगा. क्लीयरेंस मिल जाने के बाद सरकार इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस के लिए योजना आयोग को भेजेगी. योजना आयोग की मंजूरी के बाद कार्य आरंभ के लिए निविदा जारी की जायेगी.

सब कुछ समय पर होता गया, तो अगले वित्तीय वर्ष 2014-15 में निविदा जारी कर दिया जायेगा. राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी द्वारा तैयार की गयी यह डीपीआर नदियों को जोड़ने की प्रक्रिया में राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है. समस्तीपुर, बेगूसराय व खगड़िया में हर साल बाढ़ से 204.73 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. बाढ़ के पानी का रुख मोड़ देनेवाली इस परियोजना से करीब 143.31 करोड़ रुपये की बचत होगी.

कलाम ने दी थी सलाह
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि बिहार को बाढ़ और सूखे से बचाने के लिए नदी जोड़ परियोजना कारगर सिद्ध होगी. सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए.

नदियों को आपस में जोड़नेवाली यह देश की पहली परियोजना है. बिहार इस परियोजना में अग्रणी राज्य बन गया है. इसके लिए राज्य सरकार को तीन साल तक दबाव बनाना पड़ा. यह बहुउद्देशीय परियोजना है. इससे जहां राज्य की सिंचाई क्षमता बढ़ेगी, वहीं बाढ़ रोकने में मदद मिलेगी.

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