नए साल की शुरुआत हो चुकी है। यह साल मौजूदा सरकार के लिए सबसे
महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आगामी कुछ माह बाद आम चुनाव होना है। ऐसे मौके
पर कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट (CGA) की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। सीजीए
की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए सरकार ने अपनी आय से दोगुना ज्यादा खर्च
कर दिए हैं। सीजीए वित्त मंत्रालय का ही हिस्सा है जो हर माह के अंत में
राजकोषीय घाटे के आंकड़े जारी करता है। राजकोषीय घाटा सरकार की आय और खर्च
के अंतर के आंकड़े होते हैं।
महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आगामी कुछ माह बाद आम चुनाव होना है। ऐसे मौके
पर कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट (CGA) की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। सीजीए
की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए सरकार ने अपनी आय से दोगुना ज्यादा खर्च
कर दिए हैं। सीजीए वित्त मंत्रालय का ही हिस्सा है जो हर माह के अंत में
राजकोषीय घाटे के आंकड़े जारी करता है। राजकोषीय घाटा सरकार की आय और खर्च
के अंतर के आंकड़े होते हैं।
सीजीए ने साल के अंत में 31 दिसंबर, 2013 को राजकोषीय घाटे के आंकड़े
प्रस्तुत किए। उसमें बताया गया कि अप्रैल 2013 से लेकर नवंबर 2013 तक
सरकारी कोष में 511638 करोड़ रुपए की आय हुई। इसी दौरान सरकार ने 1021195
करोड़ रुपए खर्च किए। यानी राजकोषीय घाटा 509557 करोड़ रुपए का हुआ। इसका
मतलब है कि सरकार ने अपनी आय से तकरीबन दो गुना ज्यादा रुपए खर्च कर दिए।
यह फाइनेंशियल वर्ष के शुरुआती 8 माह में करीब 99.6% है।
प्रस्तुत किए। उसमें बताया गया कि अप्रैल 2013 से लेकर नवंबर 2013 तक
सरकारी कोष में 511638 करोड़ रुपए की आय हुई। इसी दौरान सरकार ने 1021195
करोड़ रुपए खर्च किए। यानी राजकोषीय घाटा 509557 करोड़ रुपए का हुआ। इसका
मतलब है कि सरकार ने अपनी आय से तकरीबन दो गुना ज्यादा रुपए खर्च कर दिए।
यह फाइनेंशियल वर्ष के शुरुआती 8 माह में करीब 99.6% है।
बता दें कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में राजकोषीय घाटा 542999 करोड़
टारगेट किया गया था, लेकिन अप्रैल से नवंबर में यह आंकड़ा 509557 करोड़ रहा,
जो राजकोषीय घाटे के सालाना टारगेट का 93.9% प्रतिशत है। बात करें यदि साल
1997-1998 और साल 2012-2013 के पहले 8 माह की, तो उस समय यह आंकड़ा 72.37%
था। राजकोषीय घाटे का मौजूदा आंकड़ा साधारणतया बहुत ज्यादा है।
टारगेट किया गया था, लेकिन अप्रैल से नवंबर में यह आंकड़ा 509557 करोड़ रहा,
जो राजकोषीय घाटे के सालाना टारगेट का 93.9% प्रतिशत है। बात करें यदि साल
1997-1998 और साल 2012-2013 के पहले 8 माह की, तो उस समय यह आंकड़ा 72.37%
था। राजकोषीय घाटे का मौजूदा आंकड़ा साधारणतया बहुत ज्यादा है।
जब राजकोषीय घाटा इस कदर बढ़ा हुआ है, ऐसे में निश्चित ही नया वित्तीय
वर्ष (1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015) देश की अर्थव्यवस्था के लिए
चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
वर्ष (1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015) देश की अर्थव्यवस्था के लिए
चुनौतीपूर्ण हो सकता है।