रांची
नगर निगम ने शहर की सफाई के लिए सात एनजीओ का चयन किया है. इन एनजीओ को
एटूजेड से हर माह लगभग एक करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे. एटूजेड को पहले हर माह
75 लाख रुपये मिलते थे, जबकि एनजीओ को हर माह 1.72 करोड़ का भुगतान होगा.
हालांकि इन एनजीओ से अभी एग्रीमेंट नहीं हुआ है, पर जिस तरह से इनको काम
दिया गया, उससे इसमें किसी डील की आशंका जतायी जा रही है. वैसे भी पिछले
दिनों पुलिस की जांच में खुलासा हुआ था कि निगम के पूर्व मेयर के खाते में
हर माह 25 से 40 हजार रुपये गुड़गांव से आते थे. यह राशि एक सफाई कंपनी की
ओर से आती थी, ऐसी चर्चा है.
रांची: शहर की सफाई के लिए चयनित एनजीओ पहले सफाई करनेवाली कंपनी एटूजेड
की तुलना में लगभग एक करोड़ रुपये अधिक लेंगे. रांची नगर निगम ने सफाई के
लिए चयनित कुल सात एनजीओ को 1.72 करोड़ रुपये देने पर सहमति जतायी है.
पूर्व में इसी काम के लिए एटूजेड को केवल 75 लाख रुपये ही दिये जाते थे.
चयनित एनजीओ को साफ-सफाई के एवज में नगर निगम से प्रतिमाह 1.52 करोड़
रुपये दिये जायेंगे. इसके अलावा एनजीओ का सर्विस टैक्स भरने पर भी नगर निगम
ने सहमति जतायी है. सर्विस टैक्स के रूप में कुल राशि का 12.37 प्रतिशत
राशि दी जायेगी. सर्विस टैक्स की राशि जोड़ने पर नगर निगम पर शहर की सफाई
के लिए एनजीओ के मद में लगभग 1.72 करोड़ रु का बोझ पड़ेगा.
जीजा टेंडर कमेटी में, साले के एनजीओ को मिला काम
मनपसंद एनजीओ को शहर की सफाई का काम देने के लिए सारे नियमों को ताक पर रख
दिया गया. शहर की सफाई का काम हेरिटेज एजुकेशन सोसाइटी नामक एनजीओ को भी
दिया गया है. इस एनजीओ के कर्ताधर्ता मनोज कुमार पांडेय हैं. वे टेंडर
कमेटी में शामिल ओंकार पांडेय की पत्नी के भाई (साले) हैं. ओंकार पांडेय
रांची नगर निगम में स्टोर इंचार्ज के रूप में काम करते हैं. हेरिटेज
एजुकेशन को रांची नगर निगम ने वार्ड संख्या चार, पांच, छह व आठ की सफाई का
जिम्मा सौंपा है. इन वार्डो में काम करने के एवज में निगम इसे हर माह 12
लाख 25 हजार रुपये देगा. मालूम हो कि रांची नगर निगम द्वारा नवंबर के प्रथम
सप्ताह में टेंडर निकाला गया. इसमें शहर के 37 एनजीओ ने आवेदन जमा किया.
इन 37 एनजीओ में से आठ एनजीओ(मंथन युवा संस्थान, क्रियेटिव इंटरनेशनल, नव
भारत जागृति केंद्र, चल फाउंडेशन, हेरिटेज एजुकेशन सोसाइटी, क्लीन झारखंड,
ग्रामीण महिला समिति) को निगम ने शॉर्ट लिस्टेड किया था.
बदल दिये नियम
एक जनवरी से शहर की सफाई एनजीओ (नन गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन) के हवाले कर
देनी है, इसके लिए नगर निगम ने तीन दिसंबर को ही ठेका कंपनी एटूजेड को
नोटिस जारी कर दिया था. इधर, एटूजेड के हटने के बाद शहर की सफाई-व्यवस्था
खराब न हो, नगर निगम ने इसके लिए टेंडर भी निकाल दिया. टेंडर में कुल 37
एनजीओ ने भाग लिया, परंतु टेक्निकल व फाइनेंशियल बिड खोलने के बाद मात्रआठ
एनजीओ ही सफल हुए. निगम ने इनके लिए शर्ते तय की, परंतु चार एनजीओ को निगम
की एक शर्त पर आपत्ति थी. वह शर्त थी : काम नहीं करने पर एफआइआर नगर निगम
दर्ज करा सकता है. बाद में चार एनजीओ क्रिएटिव इंटरनेशनल, नवभारत जागृति
केंद्र, मंथन युवा संस्थान व ग्रामीण महिला समिति की सुविधा को देखते हुए
निगम ने एफआइआर दर्ज कराने की शर्त हटा दी. इसके बदले में निगम ने
विधिसम्मत कार्रवाई करने की शर्त जोड़ दी. विधिसम्मत कार्रवाई के तहत किस
प्रकार की कार्रवाई की जायेगी, इसका जिक्र लिखित रूप में कहीं नहीं किया
गया.
एटूजेड के साथ थी कड़ी शर्त
नगर निगम ने एटूजेड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए काफी कड़े नियम बनाये थे. इसमें
एफआइआर जैसी बात तो नहीं थी, परंतु सड़क के एक डस्टबीन पर कचरा पड़ा रहने
पर पांच हजार रुपये प्रति डस्टबीन व एक मुहल्ले में डोर टू डोर का कलेक्शन
नहीं होने पर पांच लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया था. तीन
साल में निगम ने एटूजेड पर 28 लाख का जुर्माना भी किया था.