जोधपुर. एनडीए शासनकाल में हुई हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड डील के मामले में नया तथ्य सामने आया है। विनिवेश की गड़बडिय़ों की जांच कर रही सीबीआई को कंपनी ने जवाब भेजकर माना कि डील के वक्त 117 मिलियन टन खनिज रिजर्व में था।
लंदन मैटल एक्सचेंज ने 117 टन खनिज की कीमत 60 हजार करोड़ आंकी है। जबकि पूरी कंपनी सिर्फ 1500 करोड़ रुपए के विनिवेश पर स्टरलाइट कंपनी को सौंप दी गई। सीबीआई को कंपनी की ओर से रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जा रहा है। उसका मिलान कंपनी की पुरानी बैंलेंस शीट से मिलान किया जाएगा। सीबीआई के पास रिजर्व 140-150 मिलियन टन होने के रिकॉर्ड मौजूद हैं।
बामनिया कला माइंस व कायड़ प्रोजेक्ट भी छुपाए
40 हजार करोड़ रुपए की सिंदेसर माइंस की तरह उदयपुर के पास बामनिया कला माइंस और अजमेर के पास कायड़ प्रोजेक्ट भी टेंडर डॉक्युमेंट में नहीं थे। डील से पहले की बैलेंस शीट बताती हैं कि ये दोनों असेट्स भी कंपनी की थी, जिनकी कीमत नहीं लगाई गई। इनमें से कायड़ प्रोजेक्टर में तो 2002 में ड्रिलिंग भी चल रही थी और बामनिया कला माइंस में स्टरलाइट ने बाद में काम शुरू किया।