नौ लाख रुपये की कीमत वाले स्ट्रॉ बेलर खरीदने वालों में किसान बहुत ही कम
हालात – भूसा जलाने पर प्रतिबंध लगाने वाली राज्य सरकारें स्ट्रॉ
बेलर के प्रयोग को बढ़ावा नहीं दे रही हैं। बैंक सस्ता कर्ज देने को तैयार
नहीं है और किसानों के बीच भी जागरूकता का अभाव है। कृषि मशीनरी के नाम पर
केवल ट्रैक्टर के लिए लोन मिलता है।
पंजाब में स्ट्रॉ बेलर की खरीद पर सब्सिडी नहीं
प्रदूषण के चलते धान व गेहूं के भूसा जलाने पर प्रतिबंध लगाने वाली
पंजाब व हरियाणा सरकार स्ट्रॉ बेलर जैसी हाईटेक मशीनरी को किसानों के बीच
प्रोत्साहित नहीं कर पाई है। हालांकि हरियाणा ने स्ट्रॉ बेलर की खरीद पर
किसानों को एक लाख रुपये सब्सिडी का प्रावधान किया है पर पंजाब में इसकी
खरीद पर किसानों के लिए कोई सब्सिडी नहीं है।
स्ट्रॉ बेलर मशीन से खेतों में बचे धान व गेहूं की फसल के अवशेष का
बेहतर उपयोग पशुओं के चारे के अलावा बायोमास पावर प्लांट में किया जा सकता
है। पर देश में स्ट्रॉ बेलर मशीनों की सालाना बिक्री मात्र 200 है। दो साल
पहले कोरिया से स्ट्रॉ बेलर मशीन का आयात करने वाली क्लास इंडिया ने पिछले
इन दो सालों में पंजाब व हरियाणा में मात्र 80 स्ट्रॉ बेलर मशीनें बेची
हैं।
कोरियन कंपनी क्लास इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट सेल्स एंड मार्केटिंग
अमित सूद के मुताबिक 9 लाख रुपये की कीमत वाले स्ट्रॉ बेलर खरीदने वालों
में किसान बहुत ही कम हैं।
इन्हें खरीदने वालों में अधिकतर बायोमास पावर प्लांट हैं। इनका कहना है
कि धान व गेहूं की फसलों के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाने वाली राज्य
सरकारें स्ट्रॉ बेलर के प्रति किसानों को जागरूक करती हैं तो इनकी बिक्री
में अप्रत्याशित इजाफा हो सकता है।
क्लास इंडिया के डायरेक्टर प्रदीप मलिक का कहना है कि जागरुकता व वित्त
पोषण के अभाव में उच्च तकनीक की कृषि मशीनरी किसानों की पहुंच से बाहर बनी
हुई है।
फार्म मैकेनाइजेशन के नाम पर बैंक व वित्तीय संस्थान केवल ट्रैक्टर के
लिए ही कर्ज को वरियता देते हैं जबकि उच्च तकनीक के कृषि उपकरणों के लिए
कर्ज देने में ये आनाकानी करते हैं। यही कारण है देश में उच्च तकनीक वाले
कृषि उपकरणों का बाजार बहुत सीमित रह गया है।
उच्च तकनीक के कृषि उपकरणों के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए
क्लास ने पंजाब के मोरिंडा, पीएयू लुधियाना व हरियाणा के फरीदाबाद समेत देश
में 8 ट्रेनिंग संस्थान स्थापित किये हैं।