20 लाख टन गेहूं निर्यात करने की अनुमति दी थी।
9.9 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए टेंडर जारी किए हैं।
एफसीआई का अनुमान
मार्च तक 20 लाख टन गेहूं का निर्यात हो जाएगा
गेहूं निर्यात का औसत मूल्य 281 डॉलर प्रति टन मिलेगा
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को चालू वित्त वर्ष के दौरान गेहूं
निर्यात से 3400 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद है। पिछले अगस्त में
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने एफसीआई के गोदामों से 20 लाख
टन गेहूं निर्यात करने की अनुमति दी थी।
सार्वजनिक क्षेत्र की ट्रेडिंग कंपनियां एसटीसी, पीईसी और एमएमटीसी
एफसीआई के गोदामों से गेहूं का निर्यात कर रही हैं। एफसीआई सरकार की ओर से
खरीदे जाने वाले अनाजों की देखरेख करता है। ट्रेडिंग कंपनियों ने 9.9 लाख
टन गेहूं निर्यात के लिए टेंडर जारी किए हैं।
इनमें से चार लाख टन के टेंडर दिए जा चुके हैं। एफसीआई के एक वरिष्ठ
अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं बाजार के परिदृश्य और
निर्यात के लिए मिल रही बिड देखकर हमारा अनुमान है कि हम मार्च में पूरा 20
लाख टन गेहूं निर्यात करने की स्थिति में होंगे। इससे 3400 करोड़ रुपये से
ज्यादा आय होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि निर्यात के लिए सभी बिड 280 डॉलर प्रति डॉलर से ज्यादा
भाव पर मिल रही हैं। सबसे ऊंची बिड 289.90 डॉलर प्रति टन तक की मिली थी।
जबकि सरकार ने फ्लोर प्राइस 260 डॉलर प्रति टन तय किया है। एफसीआई को गेहूं
निर्यात का औसत मूल्य 281 डॉलर प्रति टन मिलने की उम्मीद है।
सरकार ने गेहू निर्यात के लिए फ्लोर प्राइस 300 डॉलर प्रति टन से घटाकर
260 डॉलर प्रति टन तय किया था क्योंकि विश्व बाजार में गेहूं के दाम घटने
की वजह से 300 डॉलर प्रति टन से ऊपर बिड नहीं मिल पाईं। अमेरिका, कनाडा और
ऑस्ट्रेलिया से गेहूं 270-275 डॉलर प्रति टन पर बिकने की वजह से भारतीय
गेहूं की ऊंचे भाव पर खरीद फीकी पड़ गई। सरकार ने पिछले वित्त वर्ष 2012-13
के दौरान 45 लाख टन गेहूं निर्यात की अनुमति दी थी।