नयी दिल्ली: आलू, प्याज और अन्य सब्जियों के महंगा होने से थोक मूल्य
सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति नवंबर माह में बढ़कर 14 महीने के उच्च स्तर
7.52 प्रतिशत पर पहुंच गयी. इसके कारण रिजर्व बैंक इस सप्ताह मौद्रिक नीति
समीक्षा में प्रमुख नीतिगत ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार वृद्धि कर
सकता है. इस वर्ष नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़े सितंबर 2012 के
बाद सबसे उंचे हैं.
सितंबर 2012 के दौरान थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 8.1
प्रतिशत पर थी. जबकि पिछले इस सा अक्तूबर में यह 7 प्रतिशत थी. सरकारी
आंकड़ों के अनुसार नवंबर में सब्जियों की कीमतों में सालाना आधार पर 95.25
प्रतिशत की तेजी रही, जबकि अक्तूबर में यह तेजी 78.38 प्रतिशत थी.
खाद्य वर्ग की वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर कीमतें पिछले
साल नवंबर की तुलना में 19.93 प्रतिशत उंची रही. इस पिछले माह खाद्य
मुद्रास्फीति 18.19 फीसद थी. खाद्य वर्ग में दाल, सब्जी, दूध एवं अन्य
खाद्य पदार्थो की कीमतों की गणना की जाती है. इस बीच, सितंबर के लिये थोक
मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को संशोधित कर 7.05 प्रतिशत कर दिया
गया है जबकि पूर्व में इसके 6.46 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था.
पिछले सप्ताह सरकार ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा
मुद्रास्फीति उछलकर 11.24 प्रतिशत पर आ गयी. रिजर्व बैंक बुधवार को मध्य
तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति में वृद्धि तथा औद्योगिक
उत्पादन में गिरावट को ध्यान में रख सकता है.