खुदरा महंगाई ने फिर बरपाया कहर

केंद्र सरकार महंगाई और औद्योगिक मोर्चे पर मुश्किल में घिरती दिख रही है।
नवंबर में खुदरा महंगाई इस साल सबसे ज्यादा 11.24 फीसदी तक पहुंच गई है,
जबकि औद्योगिक उत्पादन 1.8 फीसदी गिर गया है।

महंगाई जहां आम आदमी
की कमर तोड़ रही है वहीं, उद्योग सुस्ती के भंवर में फंस चुके हैं।
खाने-पीने की चीजों पर 14.72 फीसदी तक पहुंची महंगाई आम जनता के साथ सरकार
पर भी भारी पड़ सकती है। इन आंकड़ों ने रिजर्व बैंक पर भी कर्ज महंगा करने
का दबाव बढ़ा दिया है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के
अनुसार, नवंबर में खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 11.24 फीसदी
बढ़ी है। इस दौरान सब्जियों के दाम 61.60 फीसदी बढ़े, जबकि अनाज और इसके
उत्पादों पर 12.07 फीसदी महंगाई है।

लोगों को खाने-पीने की चीजों पर
पिछले साल से 14.72 फीसदी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। अगस्त में खुदरा
महंगाई 9.52 फीसदी थी, तब से यह लगातार बढ़ती जा रही है। महंगाई रोकने के
तमाम सरकारी दावों के बावजूद चीनी को छोड़कर खाने-पीने की सभी प्रमुख चीजें
महंगी हो गई हैं।

चार विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के
लिए वित्त मंत्री पी. चिदंरबम महंगाई को बड़ी वजह बता चुके हैं। लेकिन
पिछले चार महीनों में जिस तेजी महंगाई बढ़ी और औद्योगिक उत्पादन गिरा, उससे
सरकार के सामने दोहरा चुनौती खड़ी हो गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
रघुराम राजन ने औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के आंकड़े� को आश्चर्यजनक
करार देते हुए महंगाई दर को उम्मीद से ज्यादा बताया है।

सुस्ती की चपेट में औद्योगिक उत्पादन
अक्टूबर
के दौरान औद्योगिक उत्पादन में 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इससे
पहले सितंबर में औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) सिर्फ 2 फीसदी ही
बढ़ा था। इस साल अप्रैल-अक्टूबर के दौरान आईआईपी की ग्रोथ शून्य रही है
जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसमें 8.4 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

अक्टूबर
में माइनिंग सेक्टर के उत्पादन में 3.5 फीसदी की गिरावट आई है जबकि
मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का उत्पादन 2 फीसदी गिरा है। पिछले साल इसी दौरान
मैन्युफैक्चरिंग में 9.9 फीसदी की ग्रोथ ने सुधार की उम्मीद जगाई थी। बिजली
उत्पादन भी पिछले साल अक्टूबर में 5.5 फीसदी के मुकाबले सिर्फ 1.3 फीसदी
बढ़ा है। कंज्यूमर गुड्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल का उत्पादन क्रमश: 5.1 और 12
फीसदी गिरा है।

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