भारत डब्ल्यूटीओ में खाद्य सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं करेगा, बातचीत विफल होने की आशंका

बाली (इंडोनेशिया)। विश्व व्यापार
संगठन की दो दिवसीय मंत्रीस्तरीय बैठक से पहले भारत ने अपना रूख कड़ा करते
हुए कहा कि वह खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर किसी प्रकार का समझौता नहीं
करेगा। इससे व्यापार से जुड़े मुद्दों पर दोहा दौर की वार्ता के विफल होने
की आशंका बढ़ गयी है।

भारत ने डब्ल्यूटीओ के 33 सदस्यीय समूह के समूचे पैकेज पर विकसित देशों
के रूख पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसमें कुछ मुद्दों पर विकसित
देश केवल जबानी जमा खर्च की नीति अपना रहे है।

भारत ने हाल ही में देश की दो तिमाही आबादी को काफी सस्ती दरों पर अनाज
उपलब्ध कराने के लिये महत्वकांक्षी खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम अपनाया है। इस
कार्यक्रम को डब्ल्यूटीओ द्वारा तय खाद्य सब्सिडी सीमा के दायरे में अमल
में नहीं लाया जा सकता।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने आज शाम यहां भारतीय पत्रकारों
के दल  के साथ बातचीत में कहा,  "गरीबों की खाद्य सुरक्षा के अपने
कार्यक्रम पर कोई समझौता करने की बात तो दूर की है, हम इस पर कोई चर्चा भी
नहीं करेंगे। यह यह हमारा सार्वभौमिक अधिकार है।"

शर्मा के नेतृत्व में डब्ल्यूटीओ की 9वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग
लेने कल यहां पहुंचे भारतीय व्यापार वार्ताकार दल ने विकासशील देशों के हित
के मामलों पर लामबंदी शुरू कर दी है। शर्मा ने इसी क्रम में आज यहां
मेजबान इंडोनेशिया के अलावा दक्षिण अफ्रीका और अरब लीग का प्रतिनिधित्व कर
रहे मिस्र के व्यापार मंत्रियों के साथ अलग अलग बैठकें की। वह डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक रोबर्तो एजेबेदो से भी मिले।

उन्होंने इसके अलावा आज जी-33 और जी-20 की बैठकों में भी हिस्सा लिया
डब्ल्यूटीओ बैठक 3-6 दिसंबर तक चलेगी। शर्मा ने कहा,  "भारत सभी पक्षों के
साथ रचनात्मक व सकारात्मक बातचीत में लगा है। हम चाहतें हैं कि बाली बैठक
का नतीजा संतुलित व सकारात्मक हो। यह ऐसा तभी होगा जबकि इसकें विकासशील
देशों की चिंताओं को दूर करने की व्यवस्था की जाए।"

शर्मा ने जी-20 की बैठक में कहा,  "निर्यात सब्सिडी खत्म करने के विषय
में इस बैठक में जो प्रस्ताव रखा गया है वह जबानी जमाखर्च के समान है और यह
इस विषय में 2005 की हांगकांग बैठक की घोषणा को परिलक्षित नहीं करता है।
यह मात्र राजनीतिक सदीच्छा की बात लगती है और इसमें प्रतिबद्घता की कमी
है।"

भारतीय वार्ताकार दल के एक सदस्य ने कहा, "हांगकांग में फैसला हुआ था कि
विकसित देश 2013 तक कृषि उत्पादों पर निर्यात सब्सिडी समाप्त कर देंगे पर
उन्होंने यह प्रतिबद्घता पूरी नहीं की है।"

जी-20 ने बैठक के बाद जारी एक विज्ञप्ति में कहा है,  "कृषि व्यापार के
क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया दोहा विकास एजेंडा के अनुसार शीघ्रता से
पूरी किए जाने की जरूरत है।" जी-20 में शामिल विकासशील देशों का कहना है कि
विकसित देशों में कृषि को मिले भारी सरकारी संरक्षण से विकासशील देशों और
अल्पविकसित देशों के विकास की दीर्घकालिक संभावनाओं की अनदेखी हो रही है।

शर्मा डब्ल्यूटीओ के बाली सम्मेलन में 4 दिसंबर को भारत का वक्तव्य देंगे।

(भाषा)

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